दिल्ली। जहां आज करोना बीमारी के चलते शहरों और कस्बों के लोगों जेबें खाली हुई हैं। वहीं दूसरी और इस विकट स्थिति में लोगों को कुछ नया करने की ओर प्रेरित भी किया है। जहां कोरोना से पहले हर महीने केवल 2000 नई कंपनियां रजिस्टर्ड होती थी, वहीं पिछले एक महीने में 16000 नई कंपनियां रजिस्टर्ड हुई है। यह इस बात का संकेत है कि लोगों का नौकरी में जीवन यापन की सुरक्षा का भ्रम टूट गया है और अब वह आत्मनिर्भर होना चाहते हैं। कमोबेश यही हाल भारत के ग्रामीण क्षेत्र का है यहां किसान, बुनकर, दस्तकार, शिल्पकार आदि को कोरोना बीमारी के चलते काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। शहरों में शिल्प की डिमांड बहुत नीचे गिरी है, जिसके चलते शिल्पकार (जो को जो बहुधा किसान ही होते हैं) उनकी दस्तकारी मिलने वाली आय में बहुत भारी गिरावट देखने को मिली है। जब अर्थव्यवस्था धीरे, धीरे पटरी पर लौटेगी तो शिल्प की मांग भी बढ़ेगी। फेस्टिवल सीजन के चलते आने वाले दिनों में शिल्प की मांग काफी बेहतर होने वाली है। कॉरपोरेट गिफ्टिंग के क्षेत्र में भी शिल्प की मांग आने वाले दिनों में बढ़ने के आसार हैं। भारतीय हस्तशिल्प की समस्या उसकी आसमान छूती कीमतें हैं जिसके चलते अच्छी शिल्पकारी वस्तुएं मध्यम वर्ग की पहुंच से दूर हो जाती हैं। लेकिन अधिकतर हस्तशिल्प वस्तु उतनी कीमती नहीं होती जितनी बाजारों में बेची जाती है। और इस पूरे खेल में असली कमाई दलालों की या शोरूम के मालिकों की होती है, शिल्पकार और बुनकर केवल थोड़े से पैसे में अपना बेशकीमती सामान इन लोगों के हाथों बेच देते हैं या यूं कहिए बेचने को मजबूर होते हैं।
शहरों और कस्बों के नए व्यवसायिओं और देश के दूरदराज कोनों में बसे शिल्पकारों, दस्तकारों और बुनकरों आदि को स्वाबलंबन प्रदान करने के लिए दिल्ली के दो आर्किटेक्ट दंपति राजीव लुंकड़ एवं शीला लुंकड़ ने अपनी नई स्टार्टअप कंपनी डायरेक्ट क्रिएट द्वारा एक अनूठे प्रयोग शिल्प से स्वालंबन कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस प्रयोग में नव व्यवसायियों को ग्रामीण शिल्पकारों, दस्तकारों एवं बुनकरों द्वारा अपने हाथो से बनवाई गई बेहतरीन शिल्प वस्तुएं थोक भाव में प्राप्त करने की ऑनलाइन सुविधा दी है। अर्थात वही शिल्प वस्तुएं जो शोरूम में 10 या 20 गुना अधिक मूल्य पर बेची जाती है अब नव व्यवसायियों को बेहद सस्ते दामों पर उपलब्ध होगी। और दस्तकारों, शिल्पकारों एवं बुनकरों को इस लेन देन का अधिक से अधिक हिस्सा सीधा उनके बैंक अकाउंट में पारदर्शी रूप से मिलेगा अर्थात शहर और गांव में कोरोना से आर्थिक रूप से पीड़ितदोनों वर्गों को स्वावलंबन के बेहतर अवसर प्रदान होंगे। शिल्प से स्वालंबन कार्यक्रम में डायरेक्ट क्रिकेट की वेबसाइट पर नव व्यवसायी अपना नामांकन दाखिल करके पूरे देश के शिल्प थोक दामों पर खरीद सकते हैं। खरीदे गए शिल्प न केवल बेहतर क्वालिटी के हैं अपितु बाजार में बेचे जाने वाले शिल्पों से कहीं नीचे थोक कीमतों पर उपलब्ध है डिजाइनर, दस्तकार, शिल्पकार, औरबुनकर भी इस वेब आधारित तकनीकी प्लेटफार्म पर अपना डिजाइन एवं अपने शिल्प बेच सकते हैं।
डायरेक्ट क्रिएट ने विभिन्न प्रकार की शिल्प की वस्तुओं को मिलाकर कई टेलर मेड पैकेज तैयार हैं जिन्हें फेस्टिवल सीजन में बेचा जा सकता है। इनसे व्यवसायियों को शिल्प का चुनाव करने में आसानी रहती है। व्यवसायी चाहें तो हजारों शिल्प आइटम्स में से भी वस्तुओं का चुनाव कर सकते हैं व्यवसायी अपनी खरीदे जाने वाली शिल्प वस्तु की थोक मात्रा बताएगा और शिल्पकार उसका थोक मूल्य एवं ऑर्डर को पूरा करने में कितना समय लगेगा व्यवसायी को बताएगा। दोनों पार्टियों की रजामंदी के बाद ही यह लेनदेन शुरू होगा यही नहीं व्यवसायी डिजाइनरों द्वारा प्रदर्शित डिजाइन को खरीद कर अमूमन किसी भी दस्तकारी माध्यम में बनवा सकता है। यह काम डायरेक्टरेट के वेब आधारित प्लेटफार्म पर अपने आप भी किया जा सकता है या स्टार्टअप के एक्सपर्ट इसमें व्यवसायियों का मार्गदर्शन भी कर सकते हैं।
डायरेक्ट क्रिएट के निदेशक श्री राजीव लुंकड़ में हमारे संवाददाता से बात करते हुए बताया कि शिल्प से स्वाबलंबन कार्यक्रम को जन जन तक पहुंचाने के लिए डायरेक्ट क्रिएट स्टार्टअप कोरोना काल में मीडिया एवं सोशल मीडिया का प्रयोग करने जा रही है। बाद में स्वयंसेवी संस्थाओं सरकारी तंत्र एवं अन्य तरीकों द्वारा गांव गांव और शहर शहर में इस कार्यक्रम का प्रचार किया जाएगा नव व्यवसायियों एवं शिल्पकारों आदि को निवेश एवं कंपनी चलाने के तरीकों की जानकारी भी वेबीनार एवं अन्य तरीकों से दी जाएगी। इस विषय में वितिय संस्थाओं एवं एंजेल इन्वेस्टर्स से बातचीत चल रही है।
फिलहाल इस वेब आधारित प्लेटफार्म पर ढाई हजार से अधिक दस्तकार बुनकर शिल्पकार एवं डिजाइनर अपने डिजाइन और शिल्प प्रदर्शित कर चुके हैं अधिकतर नामांकन छोटे शहरों एवं ग्रामीण इलाकों से आ रहे हैं।