डॉ दिलीप अग्निहोत्री
बल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकीकरण के शिल्पी थे। इसको कायम रखना देश के सभी लोगों का कर्तव्य है। उनकी जन्मजयंती इस संकल्प का अवसर प्रदान करती है। इसे राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का यही उद्देश्य है। विशेष रूप में शत्रु देशों के विरुद्ध भारत की एकता अवश्य दिखाई देनी चाहिए। इससे उनको एक सन्देश मिलता है। लेकिन भारत में अक्सर वोटबैंक सियासत अधिक प्रभावी हो जाती है। इसके चलते राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल बयान दिए जाते है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर ऐसे बयानों से बचने की नसीहत दी। उन्होंने पुलमावा आतंकी हमले पर पाकिस्तान की स्वीकारोक्ति का उल्लेख किया। इस संदर्भ में राहुल गांधी,अरविंद केजरीवाल आदि के बयान एक बार फिर चर्चा में आ गए। इन्होंने पाकिस्तान की जगह भारत सरकार पर ही निशाना लगाया था।
पाकिस्तान की आतंकी हरकतें जगजाहिर है। लेकिन भारत में वोटबैंक सियासत इस सच्चाई को स्वीकार करने में संकोच करती है। अब तो पाकिस्तान ने स्वयं आतंकी हमले की जिम्मेदारी कबूल की है। पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी इस हमले को इमरान सरकार की उपलब्धि बताया है। उसने ने संसद में कहा कि पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बल के काफिले पर हुए हमले में पाकिस्तान का हाथ था। फवाद यहीं तक नहीं रुका,उसने कहा कि पुलवामा हमला पाकिस्तान की कामयाबी है। फवाद चौधरी ने पुलवामा हमले का श्रेय इमरान खान और उनकी पार्टी को दिया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बयान कई लोगों के असली चेहरे सामने आ गए है। उस आतंकी हमले के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि बीजेपी को ऐसे नृशंस हमले से फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा था कि जब हम पुलवामा के चालीस शहीदों को याद कर रहे हैं,तब हमें पूछना चाहिए कि पुलवामा आतंकी हमले से किसे सबसे ज्यादा फायदा हुआ। राहुल के सहयोगी बीके हरिप्रसाद ने तो इस हमले को नरेंद्र मोदी व इमरान खान के बीच मैच फिक्सिंग करार दिया था। दिल्ली की वोटबैंक सियासत में अरविंद केजरीवाल कांग्रेस को बढ़त नहीं देना चाहते थे। इसलिए वह भी भारत सरकार पर टूट पढ़ें। कहा कि पाकिस्तान और इमरान खान खुलकर मोदी जी का समर्थन कर रहे हैं।
अब यह स्पष्ट है कि मोदी जी ने कोई गुप्त समझौता किया है।अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि हर कोई पूछ रहा है- क्या लोकसभा चुनाव से पहले मोदी जी की मदद के लिए पाकिस्तान ने हमारे चालीस बहादुर जवानों को मार दिया। नरेंद्र मोदी ने बल्लभ भाई पटेल प्रतिमा के निकट इस प्रकरण का उल्लेख किया। कांग्रेस व आप के बयान राष्ट्रीय एकता की भावना का उल्लंघन करने वाले थे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब हमारे देश के जवान शहीद हुए थे उस वक्त भी कुछ लोग राजनीति में लगे हुए थे। उन्होंने कहा कि उस वक्त वह सारे आरोपों को झेलते रहे, भद्दी भद्दी बातें सुनते रहे। मेरे दिल पर गहरा घाव था। लेकिन पिछले दिनों पड़ोसी देश से जिस तरह से खबरें आई है, जो उन्होंने स्वीकार किया है,इससे इन दलों का चेहरा उजागर हो गया है। गुजरात के सरदार पटेल जयंती पर आयोजित कार्यक्रम मोदी ने परेड को संबोधित किया। कहा कि जब मैं अर्धसैनिक बलों की परेड देख रहा था,तो मन में एक और तस्वीर थी। ये तस्वीर थी पुलवामा हमले की। देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था,तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे, वो पुलवामा हमले में अपना राजनीतिक स्वार्थ देख रहे थे। देश भूल नहीं सकता कि तब कैसी कैसी बातें कहीं गईं, कैसे-कैसे बयान दिए गए। देश भूल नहीं सकता कि जब देश पर इतना बड़ा घाव लगा था, तब स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कितने चरम पर थी। नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की दुहाई देते हुए राजनीतिक दलों से कहा कि मैं ऐसे राजनीतिक दलों से आग्रह करूंगा कि देश की सुरक्षा के हित में,हमारे सुरक्षाबलों के मनोबल के लिए, कृपा करके ऐसी राजनीति न करें, ऐसी चीजों से बचें। अपने स्वार्थ के लिए, जाने अनजाने आप देश विरोधी ताकतों की हाथों में खेलकर,न आप देश का हित कर पाएंगे और न ही अपने दल का।