सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

 

  • डॉक्टर्स और मरीज के बीच घुसे अविश्वास के वायरस को समाप्त किया जाना चाहिए- प्रबुद्ध लोगों का सुझाव

मिर्जापुर, 1/7. कोरोनाई-दौर का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अवसर है आज का दिन। 1 जुलाई ‘डॉक्टर्स-डे’ है। इस दौर में लगभग हरेक लोग डॉक्टर की शरण में जरूर गए। जिसके प्रति जितनी अधिक आशाएं बढ़ती है, उसका कद उसी अनुरूप बड़ा भी हो जाता है और लोग उसे परिवार का मुखिया मानने लगते हैं। इसलिए डॉक्टरों को महामारी के दौरान ‘मानव नहीं महामानव की भूमिका में होना चाहिए। ऐसा प्रबुद्धजनों का मानना है।

डॉक्टर अपनी पढ़ाई-लिखाई और योग्यता का भरपूर लाभ जन-जन को दें : CMO

डॉक्टर्स-डे पर ‘ वर्तमान दौरमें डॉक्टर्स की क्या भूमिका होनी चाहिए?’ प्रश्न पर CMO डॉ पी डी गुप्त ने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई सहज और सरल नहीं है। इसकी पढ़ाई के बाद जो भी डॉक्टर बना है, उसको चाहिए कि वह बेहतर से बेहतर क्षमता का उपयोग और परिणाम दे। वह चाहे सरकारी डॉक्टर हो या प्राइवेट। लोगों को स्वस्थ करने की जो जिम्मेदारी प्राप्त है, उसे हर हाल में डॉक्टर्स निभाएं।

कोरोना वैक्सीन के प्रति जागरूक करें

इस दौर में महामारी से बचाव में वैक्सीन ही सक्षम है। अतः इसके लिए हर डॉक्टर अपने सम्पर्क में आने वालों को इसके लाभ के बारे में बताएं। यह कहते हुए CMO ने कहा कि वैक्सीन क्रांति के लिए खुद जिलाधिकारी श्री प्रवीण कुमार लक्षकार गांव-गांव गए। ग्रामीणों को उत्साहित किया। वैक्सिनेशन प्रभारी ACMO डॉ नीलेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि 1 जुलाई से शुरू हो रहे ‘कलस्तर-एप्रोच’ कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत जिले के 1797 राजस्व ग्रामों में स्वास्थ्य टीम कैम्प कर 1/7 से वैक्सिनेशन करती लेकिन अभी रूटीन के लिए ही वैक्सीन स्टॉक में है, इसलिए उक्त टीकाकरण कार्यक्रम स्थगित करना पड़ रहा है।

7400 वैक्सीन प्राप्त हुआ

गुरुवार, 1/7 की सुबह लखनऊ से 5600 कोविशील्ड और 1800 कोवैक्सीन का डोज प्राप्त हुआ जिससे सामान्य रूप से गुरुवार को टीकाकरण होगा जबकि आगे के लिए एलाटमेंट कर दिया गया है जो शुक्रवार तक मिल जाएगा।

डॉक्टर्स-डे पर क्या होना चाहिए ?

इस दिवस पर डॉक्टर और मरीज में आत्मीय भाव जागृत करने के लिए डॉक्टर अपने मरीजों को सैम्पल की दवा नि:शुल्क दे तथा मरीज भी डॉक्टर के सम्मान में कोई सुंगंधित पुष्प दें। जरूरत पड़ने पर भले ही मरीज डॉक्टर के पास जाता है, लेकिन एक धारणा मरीजोंकी यह बन ही गई है कि डॉक्टर हर टेस्ट/दवा में कमीशन लेते हैं। अनावश्यक टेस्ट कराते हैं। सरकारी डॉक्टर ड्यूटी नहीं देते। प्राइवेट इलाज पर ज्यादा तवज्जह देते हैं। अविश्वास का वायरस डॉक्टर-मरीज के बीच घुस गया है, उसे दूर करना चाहिए।

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