कल तलक मयस्सर न थी रोटियाँ जिनके घरों मे,
कर रहे थे इल्तिजा सरकार से कुछ देने के लिये,
हो गये जाकर खडे लाईनों मे शराब की दुकान पर,
अब शराब हो गयी जरूरी जिन्दा रहने के लिये।
लखनऊ। लाकडाउन में शराब बन्दी के वजह से कई घरों में खुशियों का महौल था… कई घरों में आराम से खाने को खाना मिल रहा था…. कई घरों में चिखने चिल्लाने की आवाजे नही आ रही थी… कई घरों में सुख शान्ती का महौल था…..
लेकिन आज से ऐसे घरों में ना तो पहले की तरह खुशिया रहेगी न चेहरे पर हंसी रहेगी न. न घरों में सुख शान्ती रहेगी… कई घरों में खाने की कमी होगी….. आज से ऐसे न जाने कितने घरों की खुशी पर ग्रहण लग गया।
कोरोना की वजह से पिछले 42 दिनों से लगातार मयखाने बन्द चल रहे थे। जिसके को लेकर कई घरों में खुशियों का महौल था । लेकिन जैसे ही मयखाने खुलने की खबर आग की तरह फैली उसको लेकर कई मुस्कुराते चेहरों से हंसी गायब हो गई तो कई चेहरे खिलखिला के खिल गये…
एक तरफ जितने बेवड़ो थे उनके लिये ये खबर तो मानों एक वरदान की तरह हैं। जहां देखों हर तरफ बेवड़ों के चेहरे चहक रहे थे। चेहरों पर खुशिया झलक रही थी… लेकिन दूसरी तरफ मायुसी के साथ साथ एक डर भी झलक रहा था।
इस महौल को लेकर हमारे संवादाताओं ने कई महिलाओ से अलग अलग जगहों पर बात की तो पता चला कि शराब के ठेके खुल जाने से उनके घरों में मायुसी छा गई हैं।हमारे संवाददाताओं से अलग अलग जगह पर महिलाओं से हुई बातचीत का कुछ अंश…
- मुम्बई के मलाड इलाके मेें… एक महिला का कहना हैं कि मेर पति रोज पी कर आते थे और रोज मारपीट करते थे लेकिन जब से लाकडाउन हुआ हैं तब से उनका पीना बन्द था और मुझे भी मारते पीटते नही थे।
- मुम्बई के दहिसर इलाके से…. वहां की एक महिला का कहना था की मेरे पति शराब के चक्कर में सारे पैसे उड़ा देते थे। लेकिन इधर कुछ दिनों से कोरोना की वजह से ऐसा नही हो रहा था।
- दिल्ली के शहादरा से… एक महिला ने बातचीत के दौरान बताया कि उनके बेटे की तबियत शराब की वजह खराब चल रही थी। डाक्टरों ने उसे शराब पीने को मना किया था। लेकिन वो मानता नही था। लेकिन लाकडाउन की वजह से उसके तबियत में काफी सुधार हुआ था…. लेकिन अब शराब के ठेके खुल जाने की वजह से न जाने क्या होगा मेरे बेटे का…
- लखनऊ के गोमतीनगर से….. महिला का कहना था कि मेरे पति औऱ बेटे दोनो का ही शराब की वजह से आतों में सुजन हैं। इतने दिनों से शराब न मिलने से टेस्ट के रिपोर्ट काफी सुधार हुआ हैं। लेकिन अब फिर शराब की दुकाने खुल गई हैं तो इन्हे कौन रोक पायेगा।
- वाराणसी भेलुपुर इलाके से …… मेरा पति बेवड़ा हैं। मैं जो भी पैसा कमा कर लाती हूं उसे वो शराब में खर्च कर देता हैं। नही देने पर मारता पिटता हैं।
ऐसे न जाने कितनी महिलाओं का दर्द हैं। जो कि धीरे धीरे छलक के सामने आ रहा हैं। ऐसी महिलओ का सरकार से आग्रह हैं कि शराब पर पूरी तरह पाबन्दी लगादी जाये…….