वर्तमान सरकार ने गरीबों व मध्यम वर्ग को सहज स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अनेक योजनाए लागू की हैं. इसमें विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान और ज़न औषधि केंद्र भी शामिल हैं. गत दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि था कि सस्ती जेनरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए गए जन औषधि केंद्रों से गरीबों और मध्यम वर्ग को बहुत फायदा पहुंचा है. इनसे तेरह हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है।आज देश में साढ़े आठ हजार से ज्यादा जन औषधि केंद्र खुले हैं। ये केंद्र अब केवल सरकारी स्टोर नहीं, बल्कि सामान्य मानवी के लिए समाधान केंद्र बन रहे हैं।
इस वित्तीय वर्ष में जन औषधि केंद्रों के जरिए आठ सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की दवाएं बिकी हैं। इसी साल जन औषधि केंद्र के जरिए गरीब को मध्यम वर्ग को करीब पांच हजार करोड़ रुपए की बचत हुई है। भारतीय जन औषधि परियोजना की उपलब्धियां बहुत संतोषप्रद हैं। इससे न केवल इलाज के खर्च को लेकर देश के करोड़ों लोगों की चिंताएं दूर हुई हैं, बल्कि उनका जीवन भी आसान हुआ है. लखनऊ राजभवन में राज्यपाल आंनदीबेन पटेल की अध्यक्षता में जन औषधि परियोजना के अंतर्गत पंचम जन औषधि दिवस कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि स्वास्थय सेवाएं गरीब जनता से लेकर हर वर्ग के लोगों को सहज हो इसलिए जेनेरिक दवाइयों की व्यवस्था दी गई, लेकिन कई जगह जन औषधि केन्द्र अस्पतालों से दूर होने के कारण मरीज मंहगी दवाईयाँ लेकर ही अपने घर चला जाता है। उन्होंनेे कहा कि जन औषधि केन्द्र अस्पतालों तथा बस स्टैण्ड के नजदीक बनाए जाएं।
अच्छे स्वास्थय के लिए नियमित योग, समुचित आहार, व्यवस्थित दिनचर्या को भी महत्वपूर्ण बताया. भारत सरकार की कई अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं से जनता की पेयजल, शौचालय तथा जीवन की अन्य महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्तिहु ई है. उपमुख्यमंत्री एवं चिकित्सा, स्वास्थय तथा परिवार कल्याण मंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 1450 जन औषधि केन्द्र हैं.उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि प्रत्येक चिकित्सा इकाई पर जन औषधि केन्द्र स्थापित हो।
डॉ एसपी वर्मा ने जानकारी दी कि केैंसर जैसे अन्य असाध्य रोगों तक की दवाइयाँ जन औषधि केन्द्रों पर बहुत कम दामों में उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि इन जेनेरिक दवाइयों की निर्धारित मानकों पर गुणवत्ता प्रमाणित होने के बाद बाजार में उपलब्ध कराया जाता है।