डॉ दिलीप अग्निहोत्री
आपदा व्यक्ति को व्यथित करती है। लेकिन बचाव की इच्छाशक्ति नए अवसर भी प्रदान करती है। कोरोना आपदा के दौर में भी यह तथ्य प्रमाणित हो रहा है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल अनेक माध्यमों से इसी बात की प्रेरणा दे रही है। अनेक ऑनलाइन संवादों में वह लोगों का मार्ग दर्शन करती है। कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में भी उन्होंने इस पर जोर दिया। उन्होंने नरेंद्र मोदी के प्रयासों को सराहनीय बताया। इससे भारत कोरोना के खिलाफ जंग में एकजुट प्रयास करने में समर्थ दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोरोना से लड़ने में देश को सक्षम बनाने की अपनी योजनाओं को प्रारम्भ में ही लागू करना शुरू कर दिया था। प्रारम्भ में देश में कोविड अस्पतालों की कोई अवधारणा नहीं थी। आज देश में लगभग सात सौ से अधिक विशेष कोविड अस्पताल हैं। जिसमें आइसोलेशन बेड और आईसीयू बेड हैं। केवल उत्तर प्रदेश में कोरोना मरीजों के लिए कोविद अस्पतालों में बेड की संख्या एक लाख तक पहुंच रही है। कोरोना की टेस्टिंग हेतु एक लैब थी,वर्तमान में तीन सौ से अधिक टेस्टिंग लैब देश में कार्य कर रही हैं। प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि से ही भारत में कोरोना के संक्रमण पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सका है। विकसित देशों की तुलना में भारत में अधिक जनसंख्या एवं आबादी कब अधिक घनत्व है। फिर भी संक्रमण से मरने वालों की संख्या कम रही है। उत्तर प्रदेश में भी कोरोना से बचाव एवं उपचार हेतु वृहद स्तर पर व्यवस्था की गयी है। लखनऊ में स्थापित किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ने कोरोना की जांच एवं बचाव हेतु नये उपकरण विकसित किये हैं। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपदों में कोविड अस्पताल निर्मित किये गए है। राज्यपाल ने ठीक कहा कि इस महामारी ने पूरे विश्व को बहुत कुछ सीखने एवं सोचने को मजबूर किया है। भारत में कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत चिकित्सालयों में वेन्टीलेटर्स की संख्या को बढ़ाया गया है। नवाचार के माध्यम से नये बनने वाले वेन्टीलेटर्स पहले की अपेक्षा कम मूल्य में उपलब्ध हो रहे है। चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग हेतु पीपीई किट का पहले हम आयात करते थे। सीमित मात्रा में मास्क एवं गलव्स का उत्पादन देश में होता था। परन्तु आज देश में प्रतिदिन बड़ी संख्या में न केवल पीपीई किट,मास्क एवं गलव्स का उत्पादन हो रहा है बल्कि निकट भविष्य में हम विश्व के अनेक देशों का इसका निर्यात भी करेंगे। दुनिया में कोविड के उपचार के संबंध में वैक्सीन बनाने हेतु शोध जारी हैं। शोधकर्ताओं के समक्ष भी यह एक चुनौती है कि बिना विस्तृत शोध एवं क्लीनिकल ट्रायल के किसी दवा या वैक्सीन को कैसे प्रयोग में लायें। फिर भी दुनिया भर के बड़े स्तर पर प्रयास किये जा रहे है। यह अभूतपूर्व है। आनन्दी बेन पटेल ने विश्वास व्यक्त किया कि कोरोना को जल्दी ही परास्त कर दिया जाएगा। किंतु संक्रमण कम हो जाने के बाद भी हम सभी को बदले तरीके से ही जीना होगा। क्योंकि यह बदलाव सार्थक है। शरीर,घर व आस पास इलाके को साफ रखना हाँथ मिलाने की जगह नमस्ते करना हमारी दिनचर्या में शामिल रहना चाहिए। राज्यपाल छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा आयोजित स्वास्थ्य एवं वैश्विक परिदृश्य में कोविड नाइन्टीन का उभरता परिप्रेक्ष्य इण्डो ईरानियन वेबिनार को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना का स्वास्थ्य एवं अन्य क्षेत्रों पर बहुत गहरा प्रभाव पडा है। सभी देशों को मिलकर इस बीमारी के विरूद्ध लड़ाई लड़नी है। सभी देशों को आपस में समन्वय कर इसके मैनेजमेन्ट,उपचार एवं वैक्सीन के शोध इत्यादि के बारे में जानकारी का आदान प्रदान करना आवश्यक है। भारत और ईरान में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति एवं इससे संबंधित अन्य परिस्थितियां मिलती जुलती हैं। दोनों देश कोरोना के संबंध में जानकारी का आदान प्रदान कर इस बीमारी के विरूद्ध लड़ाई में महत्वपूर्ण सहयोग कर सकते हैं। इस प्रकार आनन्दी बेन पटेल ने कोरोना के विरुद्ध भारत द्वारा अपनाई गई रणनीति को सार्थक बताया। भारत की इस रणनीति में विश्व के साथ सहयोग की भावना भी समाहित है। राज्यपाल ने ईरान को भी सहयोग की इस भावना पर अमल का सन्देश दिया है।