डॉ दिलीप अग्निहोत्रीप्रवासी श्रमिकों की समस्या और भावना उचित है। वह किसी भी दशा में अपने गांव पहुंचना चाहते है। महाराष्ट्र व दिल्ली की सरकारें उनके भरण पोषण पर ध्यान देती तो स्थिति इतनी खराब नहीं होती। ये दोनों सरकारें अपने दायित्वों के निर्वाह में विफल रही है। इससे उत्तर प्रदेश की भी समस्या बढ़ी है। उत्तर प्रदेश सरकार लाखों प्रवासी श्रमिकों,छात्रों और अन्य लोगों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचा चुकी है। लेकिन जिस प्रकार प्रवासी श्रमिक बड़ी संख्या में महाराष्ट्र और दिल्ली आदि से पलायन कर रहे है,उसे सहज नहीं कहा जा सकता। इनकी संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन कोरोना की विवशता भी कम नहीं है। इसके कारण फिजिकल डिस्टेनसिंग अपरिहार्य है। ट्रक में भरकर जाना इन श्रमिकों के साथ वहां के लिए भी संकट उतपन्न कर सकती है,जहां इनको जाना है। बसों में भी फिजिकल डिस्टेटनसिंग के अनुरूप कम संख्या में ही बैठाया जा सकता है। इसके अलावा बाहर से आने वालों की जांच भी अनिवार्य है। इसमें भी समय लगता है। ऐसे में इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए। यह राजनीति अंततः इन श्रमिकों के साथ उनके गांव वालों के लिए भी परेशानी का कारण बन सकती है।
उत्तर प्रदेश सरकार जिस प्रकार बसों के माध्यम से लाखों श्रमिकों व विद्यार्थीयों को घर पहुंचा चुकी है,वही सर्वाधिक सुरक्षित तरीका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार कह चुके है कि श्रमिक पैदल या ट्रकों से ना चलें,सरकार उनको भोजन पानी देना सुनिश्चित कर रही है। इन सबको बसों से निर्धारित संख्या व जांच के साथ उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा। श्रमिकों को भोजन पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन को सौंपी गई थी।
एक बार योगी आदित्यनाथ ने प्रवासी श्रमिकों से भावुक अपील की है। उन्होंने वादा किया कि सरकार उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाएगी। उनके लिए भोजन पानी की कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि श्रमिकों को सुरक्षित व सम्मानजनक ढंग से उनके गंतव्य तक पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए योगी ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए है। यह सुनिश्चित करने को कहा कि प्रवासी श्रमिक असुरक्षित ढंग पैदल, साइकिल,बाइक टैंपो, ट्रक आदि से यात्रा न करें। ऐसे श्रमिकों को रोक कर सबसे पहले उन्हें भोजन एवं पानी उपलब्ध कराया जाए। इसके बाद उनकी स्क्रीनिंग करते हुए उन्हें सुरक्षित व सम्मानजनक ढंग से उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाए। राज्य सरकार श्रमिकों की वापसी और उन्हें सुविधा देने के प्रति प्रतिबद्ध है। राज्य के सीमावर्ती जनपदों में प्रवासी कामगारों श्रमिकों के लिए बसों की व्यवस्था की गई है। इनको बसों से भेजने के लिए धनराशि भी स्वीकृत है। आवश्यकता के अनुसार निजी बसों का भी उपयोग किया जाएगा। प्रवासी कामगारों श्रमिकों के लिए क्वारंटीन सेण्टर तथा कम्युनिटी किचन की व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त रखा गया है। क्वारंटीन सेण्टर में सफाई,पर्याप्त व शुद्ध भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। ग्रामीण व शहरी इलाकों में निगरानी समितियों को पूरी तरह सक्रिय रखकर निरन्तर माॅनीटरिंग की जाएगी। गृह जनपद में पहुंचने पर स्वस्थ प्रवासी कामगार श्रमिक को खाद्यान्न का पैकेट उपलब्ध कराते हुए होम क्वारंटीन में भेजा जाएगा। प्रत्येक जनपद में एल वन व टू हाॅस्पिटल क्रियाशील रखे गए है।जरूरत पड़ने पर लेवल थ्री अस्पताल की सेवाएं ली जा सकेंगी। कोविड उपचार हेतु वर्तमान में प्रदेश में सत्तावन हजार तक बेड उपलब्ध हैं। एक सप्ताह में इन बेड को बढ़ाकर एक लाख किया जाएगा। राज्य में आने वाले प्रवासी कामगारों श्रमिकों के लिए सभी प्रबन्ध किए जायेगें। योगी ने कहा कि मनरेगा में माह के अंत तक पचास लाख श्रमिकों को रोजगार दिया जाना है, इसके दृष्टिगत स्वस्थ श्रमिकों के लिए रोजगार की व्यवस्था की जाएगी। पटरी व्यावसायियों के लिए ऋण अथवा रोजगार की व्यवस्था की जाएगी। बैंकों में भीड़ कम करने के लिए बैंकिंग करेसपाॅन्डेन्ट की सेवाएं ली जाएंगी। योगी ने अधिकारियों को गेहूं क्रय केन्द्रों में अच्छी व्यवस्था के लिए उनके नियमित निरीक्षण का निर्देश दिया। इनमें किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया जाएगा। खाद्यान्न वितरण की व्यवस्था को प्रभावी बनाया जाएगा।आरोग्य सेतु व आयुष कवच कोविड एप की व्यापक डाउनलोडिंग के लिए लोगों को प्रेरित करने के निर्देश दिए। जाहिर है कि योगी आदित्यनाथ प्रवासी श्रमिकों कामगारों की सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी के लिए प्रतिबद्ध है।