राजेश कुमार लंगेह, कवि.

कोविद-19 से मुकाबले के लिए प्रेरणा देती कविता

उठ ! हो जा तैयार,
ये जंग है तेरी …
खुद के साथ

उठ कि अब तेरे जिस्म की पुकार है

लड़ , हथियार मत डाल…

खुदा है तेरे साथ …

कोई भी मर्ज तेरी हिम्मत से बड़ा नहीं
तूने आज तक खुद को परखा नहीं…

तू चाहे तो मोड़ दे दरिया,
तोड़ लौह बना दे सरिया,

तू आग है कोई धुआं नहीं…
उठ कि हार कर मन से ,
कोई जिया नहीं..

उठ !…..

अभी कल की बात थी,
उड़ता था तू हवा में..
हाथ से तारे तोड़ता था,
रुख हवाओं का मोड़ के,
सपने तौलता था

आज फिर वही हवा का झोंका है
कोई तूफान नहीं…,
इस मर्ज का शिकार
अकेला तू ही नहीं …

उठ ! …

मैं यह जानता हूं कि..
तुझमें अभी आग बाकी है
तू बुझा नहीं… लौ बाकी है
इक बार उठेगा तो देख लेना
तू सरहदों का मोहताज नहीं…
हराना मर्ज को कोई मुश्किल काम नहीं

उठ !….

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