आध्यात्म ही मानसिक तनाव पर काबू पाने का एकमात्र रास्ता है- मेडिटेशन गुरु सुवि स्वामी
अमित मिश्रा , मुम्बई से
आज की कोरोना महामारी और लॉक डॉउन के हालात ने समस्त मानव जाति के मन मस्तिष्क और शरीर को बुरी तरह डिस्टर्ब करके रख दिया है। यही वजह है कि आज वायरस से अधिक जान टेंशन, तनाव, घबराहट और डिप्रेशन के कारण जा रही है। ऐसे में इंसान के लिए मेडिटेशन या आध्यात्म बेहद महत्वपूर्ण हो गया है ये मानना है मेडिटेशन गुरु सुवि स्वामी का, जो एक सेलिब्रिटी वेलनेस कोच, सर्टिफिकेट प्राप्त रेकी मास्टर, मेडिटेटर, टैरोट कार्ड रीडर, अरोमा थेरेपिस्ट, क्रिस्टल हीलर, एस्ट्रोलॉजर और जमीन से जुड़ी हुई एक बेहद सामान्य व्यक्तित्व रखने वाली साधिका हैं।
वे ऐसे सभी लोगों की मदद करने मेे जुटी हुई हैं जो शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान हैं। वह निःस्वार्थ भाव से इंसानियत की सेवा में लगी हुई है । उन्होंने बहुत ही कम उम्र में ज्ञान और आध्यात्म के क्षेत्र में उपलब्धियां अर्जित कर ली थीं। सद्विचारों और सद्गुणों की धनी ,सुंदर वाणी, सुंदर मन और सरल स्वभाव से समृद्ध सुवि स्वामी जी एक इंजीनियर भी हैं। वे ठाकुर इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर रह चुकी हैं।
वे श्री हरि भगवान विष्णु जी और परमपिता शिव शंकर भोलेनाथ की उपासिका हैं। इनके साथ ओम मेडिटेशन करके लोग मन की शांति प्राप्त करते हैं और रूह को सुकून मिलता हुआ महसूस करते हैं।
इनके द्वारा स्थापित ईश्वरा लाईफ़ साइंसेज मानसिक तनाव और चिंता से निजात दिलाने का काम करता आ रहा है। आध्यात्म के बल पर वह लोगों की जिंदगी में आई उथल-पुथल पर काबू पाने का मंत्र बताती हैं।
मौजूदा दौर में इंसान जिस परेशानी और उलझनों का शिकार है ऐसे में आध्यात्म ही एक ऐसा रास्ता है जिसपर चल कर मानव जाति की सफलता संभव है। जिस तरह आज खुदकुशी के मामले बढ़ रहे हैं ऐसे हालात में मेडिटेशन द्वारा इंसान अपने तनाव और डिप्रेशन पर कंट्रोल कर सकता है । ईश्वरा लाईफ़ साइंसेज़ ऐसे इंसान के लिए किसी अचूक दवा की तरह है।
2015 में उन्होंने मानव शरीर की एनाटॉमी पर रिसर्च की शुरुआत की थी और 24 वाइटल आर्गन की गहराई से अध्ययन किया। फिर नाड़ी शास्त्र , आयुर्वेदा, रेकी मास्टरशिप, चक्रा मास्टरशिप, होम्योपैथी, अरोमाथैरापी, स्किनथैरापी, क्रिस्टल हिलिंग, टारोट कार्ड रीडिंग और भी अलग-अलग क्षेत्र में ना सिर्फ उन्होंने ज्ञान अर्जित किया बल्कि सैकड़ों लोगों को ट्रीटमेंट और हीलिंग के साथ परम प्रसन्नता और आनंद का मार्ग भी दिखाया है।