डॉ दिलीप अग्निहोत्री
राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल के दीक्षांत सन्देश का व्यापक शैक्षणिक महत्व होता है। इसमें वह शिक्षा प्राप्ति के महत्व को रेखंकित करती है,साथ ही समाज सेवा की भी प्रेरणा देती है। सामाजिक सरोकारों से जुड़कर ही शिक्षा सार्थक होती है। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के दीक्षांत समारोह को उन्होंने वर्चुअल माध्यम से सन्देश दिया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के जीवन में दीक्षांत एक प्रमुख उपलब्धि है। यह उच्च शिक्षण व व्यावसायिक जगत के मार्ग की ओर उन्मुख करती है। जीवन ज्ञान प्राप्ति की अनंत यात्रा है और इस यात्रा के लिए हमें सदैव जिज्ञासा जोश एवं ऊर्जा की आवश्यकता होती है। हम वैश्विक समाज के ज्ञान युग के दौर से गुजर रहे हैं। इसलिए जीवन में सफल होने के लिए तकनीकी अवधारणात्मक एवं मानवोचित गुण एवं कुशलता अनिवार्य हैं। यह तभी संभव है जब पाठयक्रम एवं शिक्षण पद्धति ऐसी हो जो छात्रों का भौतिक,बौद्धिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मक विकास सुनिश्चित करे।
शिक्षा नीति की विशेषता
राज्यपाल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा,सभ्यता,संस्कृति, सामाजिक मूल्यों को समुचित महत्व मिला है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विजन भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए नए आयाम स्थापित करने का अवसर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप भारतीय है। यह पूरी तरह से भारत की भारतीय शिक्षा नीति है। नीति के सफल अमल से भारतीय ज्ञान के साथ साथ भारतीय आवश्यकताओं के अनुसार विद्यार्थियों में स्किल विकसित होगा, जो बहुमुखी प्रतिभा संपन्न युवाशक्ति का निर्माण करेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति बिना दबाव, अभाव और प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा व्यवस्था के निर्माण का प्रयास है। भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप अपनी रूचि और प्रवृत्ति के अनुसार पढ़ाई करने और बिना किसी दबाव के अपनी क्षमता के अनुसार कोर्स और डिग्री ले सकें। समाज के आखिरी छोर पर खड़े छात्र-छात्राओं की सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट ज्ञान तक पहुंच होगी।
आत्मनिर्भर भारत अभियान
राज्यपाल ने विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर भारत अभियान में सहयोगी बनने की प्रेरणा दी। कहा कि आत्मनिर्भर और सशक्त भारत कि डिजिटल गतिविधियों के प्रसार की आवश्यकता है। इसके साथ ही तकनीक को उपयोगकर्ता के लिए सरल और सुविधा सम्पन्न बनाया जाये। स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान हेतु प्रयास जारी रहने चाहिए। इसके लिए जीवनशैली के मॉडल्स के बारे में भी सोचा जाए,जो आसानी से सुलभ हों। उसमें गरीबों,सबसे कमजोर लोगों के साथ ही साथ हमारे पर्यावरण की देखरेख को प्रमुखता हो।कुलाधिपति ने युवा स्नातकों से आग्रह किया कि वह जागें और उठ कर एक उच्चत्तर चेतना, एक नए समाज, एक नए भारत और एक नई दुनिया के लक्ष्य की ओर बढ़ें।