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सत्यम सिंह ठाकुर, ब्यूरोचीफ, गुजरात
अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर से 144 वि रथयात्रा की लगभग सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है , पूरी में निकलने वाली रथयात्रा की तर्ज पर अहमदाबाद में भी हर आषाढ़ के दूज को रथयात्रा का आयोजन होता है जिसमे भगवन खुद भक्तो से मिलने शहर में निकलते है पिछली बार कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते रथयात्रा नहीं निकल पाई थी लेकिन इस बार कोरोना के मामलो में भरी गिरावट के बाद कोविड-19 संबंधी सभी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से पालन करते हुए रथयात्रा निकालने की अनुमति मिली है।
अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर में भगवन के रथ तैयार है , मंदिर प्रगाण भी पूरी तरह से सज्ज है और वही सुरसखा एजंसिया भी पूरी तरह से चौकस है , 144 वीं रथयात्रा 12 जुलाई को अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर से निकलेगी लेकिन इस बार की रथयात्रा हर साल से अलग होगी क्यूंकि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राज्य सरकार ने यह स्पष्ट तौर पर साफ कर दिया है कि रथयात्रा में केवल तीन रथों और दो अन्य गाड़ियों के अलावा किसी भी प्रकार के वाहन को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं होगी। इस बार रथयात्रा के दौरान गायन मंडली, अखाड़े, हाथी या सजे हुए ट्रकों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
गुजरात के गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने पहले ही ये निर्देश दे दिया है की रथयात्रा के मार्ग में लोग एकत्र न हों, इसके लिए पूरे मार्ग में सुबह से लेकर रथयात्रा के पुरे होने तक कर्फ्यू लागू किया जाएगा। पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के मद्देनजर गुजरात उच्च न्यायालय ने रथयात्रा को निकालने की अनुमति प्रदान नहीं की थी, जिसके बाद जमालपुर क्षेत्र में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में प्रतीकात्मक रूप से ही रथयात्रा का आयोजन किया गया था। पारंपरिक रूप से रथयात्रा सुबह सात बजे भगवान जगन्नाथ के मंदिर से रवाना होती है और रात आठ बजे तक वापस 400 वर्ष पुराने मंदिर में आ जाती है।
कोविड-19 महामारी से पहले विश्व प्रसिद्ध इस रथयात्रा में प्रत्येक वर्ष लाखों लोग हिस्सा लिया करते थे। करीब 100 ट्रकों पर मौजूद झांकियों तथा सजे-धजे हाथियों की एक झलक पाने के लिए लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। करीब 12 घंटे की अवधि के दौरान यह रथयात्रा 19 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद वापस भगवान जगन्नाथ के मंदिर में लौट आती है। इस दौरान रथयात्रा एक घंटे के लिए रुकती भी है। लेकिन इस बार ये सब नहीं होगा इस बार की यात्रा को चार से पांच घंटे में पूरी करने की योजना बनाई है। इस बार केवल 60 युवाओं को ही रथों को खींचने की अनुमति दी जाएगी, जिसमें से 20-20 युवा प्रत्येक रथ को खींचेंगे। रथयात्रा में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा कोविड-19 टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।इस बीच पुलिस प्रशासन ने मंदिर मार्ग पर रिहर्सल शुरू कर दी है पुलिस ने उस मार्ग पर मार्च पास्ट किया जिस रास्ते से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पसार होनी है पुलिस प्रशासन के करीब 20 हजार जवान सुरक्षा व्यवस्था में तैनात किए गए है।
रथयात्रा में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मास्क पहनना होगा और साथ ही शारीरिक दूरी के नियम का भी पालन करना होगा। 12 जुलाई की सुबह रथयात्रा की शुरुआत से पहले केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह मंदिर में मंगला आरती करेंगे। वही रथयात्रा से पहले होने वाले नेत्रोत्सव में गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा और राज्य के भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने रविवार को भाग लिया। बारह जुलाई को यहां निकाली जाने वाली रथयात्रा से पहले नेत्रोत्सव मनाया गया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी आर पाटिल और विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने मंदिर में आयोजित नेत्रोत्सव में भाग लिया। नेत्रोत्सव में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा के उनके मामा के यहां से लौटने की पौराणिक घटना को जीवंत करते हुए प्रतीक रूप में उनकी आंखों को ढंका जाता है। इसके बाद ध्वजारोहण में मंदिर की पताका बदली जाती है।
12 जुलाई को सुबह अमित शाह ४ बजे मंगला आरती करने के बाद मुख्यमंत्री विजय रुपानी पाहिन्द विधि कर रथ को नगर यात्रा के लिए प्रस्थान करेंगे , हर साल ये प्रथा रही है की राज्य के मुख्यमंत्री ही रथ को खींच कर रथयात्रा की शुरुआत करवाते है , पाहिन्द विधि के तहत मुख्यमंत्री खुद झाड़ू लगाकर रथ के मार्ग को साफ़ करते है , हालांकि ये सोने का झाड़ू होता है और मार्ग प्रतीकात्मक होता है इस बार भी सीएम रुपानी रथयात्रा की शुरुआत करवाएंगे