सत्यम सिंह ठाकुर, गुजरात
गुजरात के मोरबी में झूलता हुआ पुल टूटने की घटना को लेकर गुजरात सरकार ने मंगलवार देर शाम को मोरबी नगरपालिका को भंग कर दिया. मोरबी पल हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी. राज्य के साथ-साथ मोरबी नगरपालिका में भी बीजेपी का ही शासन है.
पिछले साल 30 अक्टूबर को मोरबी की मच्छू नदी पर बना झूलता पुल अचानक से टूट गया जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद हाई कोर्ट ने भी गुजरात सरकार और मोरबी नगर पालिका को जमकर फटकार लगाई थी। दरअसल मोरबी नगरपालिका के साथ हुए एक समझौते के तहत इस पुल के रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी ओरेवा समूह को दी गई थी.
गुजरात सरकार ने मोरबी नगरपालिका को 18 जनवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और पूछा था कि पुल से जुड़े अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल होने के कारण क्यों न उसे भंग कर दिया जा। कारण बताओ नोटिस में दावा किया गया कि नगरपालिका ने ओरेवा कंपनी की पुल को लेकर दी जा रही चेतावनियों पर कोई गौर नहीं किया, इसके अलावा नगरपालिका ने कॉन्ट्रेक्ट पूरा होने के बाद 2017 में कंपनी से पुल लेने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. नोटिस में एसआईटी की जांच के निष्कर्षों का भी हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि ओरेवा समूह ने पुल की मरम्मत, रखरखाव और इसके संचालन में लापरवाही बरत। नगर पालिका के 52 में से 41 पार्षदों ने कहा कि उनमें से अधिकांश को उस समझौते के बारे में पता ही नहीं था जिसके तहत ओरेवा समूह को पुल का ठेका सौंपा गया था. नगरपालिका के सभी 52 पार्षद बीजेपी के हैं.
इस मांमले में ओरेवा कंपनी के एमडी जयसुख पटेल पहले ही जेल में है और उनकी जमानत याचिका भी ख़ारिज हो चुकी है वही कोर्ट के आदेश अनुसार उन्होंने तय किये गए मुआवजे की पचास फीसदी रकम कोर्ट में जमा भी करवा दी है