रोशन सिंह, गुजरात
अहमदाबाद कॉर्पोरेशन ने आवारा मवेशियों के मुद्दे पर एक नई नीति की घोषणा की है। जिसमें तीन साल के लिए लाइसेंस फ्री 500 रुपये तय किया गया है.जिसे रिन्यू कराने के लिए 250 रुपये चुकाने होंगे। इस पालिसी के तहत घर पर पशु रखने वाले को नगर निगम से परमिट लेनी होगी ,दूध बेचने या अन्य व्यसाय के लिए पशु रखने वालो को लाइसेंस लेना होगा। परमिट और लाइसेंस की समय मर्यादा तीन साल की होगी जिसके बाद उसे रिन्यू करवाना होगा जबकि पंजरापोल गौशाला जैसे संस्थान जो पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के तहत पंजीकृत हैं उन्हें लाइसेंस प्राप्त करना होगा।
इस पालिसी के तहत हर पशु का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है जिसके तहत RFID चिप और टैग लगाया जायेगा और ये प्रक्रिया एक महीने में पूरी करनी होगी जिसके लिए धारक के पास से २०० रूपये भी वसूले जायेंगे। यहाँ तक की घास बेचने वाले को भी लाइसेंस लेना होगा। आवारा पशुओं के संबंध में पूरी जिम्मेदारी पशु मालिक की होगी। यदि किसी आवारा जानवर के कारण किसी नागरिक की जान-माल की हानि होती है तो मालिक के विरुद्ध आपराधिक कानूनी कार्रवाई कर मुआवजा वसूला जा सकता है। पहली बार पशु पकडे जाने पर निर्धारति दंड जबकि दूसरी बार डेढ़ गुना और तीसरी बार दो या तीन गुना और ज्यादा बार पकडे जाने पर पशु को हमेशा के लिए जप्त कर पशु धारक लका लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा
गौरतलब है की आवारा पशुओ के आतंक से आये दिन या तो कोई घायल हो रहा है या उसकी मौत हो रही है इसी मुद्दे पर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए तुरंत कैटल पालिसी बनाने की बात कही थी जिसके बाद इस तरह के कई शख्त प्रावधान के साथ कारपोरेशन की नई कैटल पालिसी तो बना दी है अब देखना है की इसका कितना पालन होता है और आवारा पशुओ पर कितनी लगाम लगती है