डॉ दिलीप अग्निहोत्री

इसमें कोई संदेह नहीं कि उत्तर प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव रहा है। इसके लिए पिछली सरकारें भी जबाब देह है। यह अभाव केवल चिकित्सा सुविधाओं तक सीमित नहीं रहा। बल्कि चिकित्सकों व अन्य चिकित्सा कर्मियों की संख्या भी पर्याप्त नहीं रही। उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर विगत सत्तर वर्षों से पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। जनसंख्या को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाएं अत्यंत सीमित रही है। शहरों में महंगे नर्सिंग होम है। इनमें इलाज कराना जनसामान्य के लिए मुश्किल होता है। सरकारी अस्पताल सामान्य स्थिति में भरे रहते है। इनमें पर्चा बनवाने से लेकर डॉक्टर के पास पहुचने में ही बड़ी मशक्कत करनी होती है। जबकि वर्तमान समय में तो वैश्विक महामारी है। कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों के सामने भारी मुसीबत पैदा की। इस बार शहरों के साथ गांव भी इससे प्रभावित हुए। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में स्थिति को संभालना आसान नहीं था। पीड़ितों के लिए पर्याप्त बेड व ऑक्सीजन नहीं थी। लेकिन स्थिति को संभालने के भी प्रयास चलते रहे। इसमें कोई संदेह नहीं कि आपदा अत्यंत भयावह थी। इसके मुकाबले स्वास्थ्य सुविधाएं कम पड़ गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रबंधन की दिशा में यथाशक्ति प्रयास किये। इससे सुधार हुआ। कुछ ही दिनों में वह करीब पचास जनपदों में आपदा प्रबंधन का जायजा ले चुके है। इन सभी जनपदों के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से उन्होने संवाद किया। कोविड़ अस्पतालों व एकीकृत कंट्रोल कमांड का निरीक्षण किया। जहां वह अभी तक नहीं पहुंच चुके,वहां वर्चुअल माध्यम से व्यवस्था की समीक्षा कर रहे है।

उन्होंने कहा देश में सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश है। चार करोड़ बाँसठ लाख से अधिक टेस्ट किए गए हैं। एक करोड़ साठ लाख से अधिक लोगों को अब तक वैक्सीन दी है। अठारह साल से ज्यादा उम्र के लोगों को लगभग आठ लाख से ज्यादा वैक्सीन दे चुके हैं।  जनपदों की यात्रा के क्रम में योगी आदित्यनाथ ने लखीमपुर खीरी में एकीकृत कोविड़ कंट्रोल कमांड का निरीक्षण किया। यहां के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ बैठक की। कहा जा रहा था कि पच्चीस अप्रैल से दस मई के बीच उत्तर प्रदेश में एक लाख कोरोना के मामले प्रतिदिन आएंगे। योगी आदित्यनाथ ने कहा आज सतहत्तर सौ के आसपास पॉजिटिव मामले आए हैं। पिछले बीस दिन के अंदर दो लाख से अधिक सक्रिय मामलों की संख्या कम हो गई है। मुख्यमंत्री वैक्सिनेशन पर भी बल दे रहे है। वह स्वयं इसके लिए प्रदेश के लोगों को जागरूक कर रहे है। उन्होंने कोरोना वैक्सीन को सुरक्षा कवच बताया। कहा कि वैक्सीन लगवाने के लिए अब ग्रामीणों को शहर में या जिला अस्पताल में आने की जरूरत नहीं होगी। गांव में ही कॉमन सर्विस सेंटर पर ग्रामीणों का रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा। जहां पर सरकार उनको बहुत जल्दी वैक्सीन लगवाने की सुविधा भी देने जा रही है। प्रदेश के पन्द्रह करोड़ जरूरतमंद गरीबों को जून,जुलाई और अगस्त में नि:शुल्क राशन की व्यवस्था की जा रही है। जिसके पास भी राशन कार्ड नहीं होगा। जिला प्रशासन उसका तत्काल राशन कार्ड बनवाकर उसे राशन उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा सरकार योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी मसलों पर संवेदनशीलता से निर्णय होगा। राज्य निर्वाचन आयोग की वर्तमान गाइडलाइन में ड्यूटी पर रवाना होने से घर वापसी के बीच की अवधि में होने वाली घटनाओं पर पन्द्रह लाख रुपये तक आर्थिक सहायता व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान है।

जबकि कोविड महामारी में संक्रमण का असर कई दिन बाद तक रहता है। ऐसे में चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर घर आने के बाद जान गंवाने वाले कार्मिकों के प्रकरण में आर्थिक सहायता व नौकरी देने की कार्यवाही नहीं हो पा रही है। चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना से मृत्यु पर तीस लाख रुपये आर्थिक सहायता की व्यवस्था है। नियमों में बदलाव के बाद चुनाव के दौरान संक्रमित कर्मी की मौजूदा अवधि के बाद में भी मृत्यु पर मुआवजा व नौकरी देने की कार्यवाही की जा सकेगी। इससे अपनों को खोने वाले समस्त कार्मिकों के परिजनों को ये लाभ मिल सकेंगे।

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