डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

लखनऊ विश्वविद्यालय में योग का नियमित अभ्यास संचालित होता है। शताब्दी समारोह में देश विदेश से बड़ी संख्या में लोग प्रत्यक्ष व ऑनलाइन भी जुड़े है। इसलिए समारोह के सातों दिन योग का विशेष आयोजन किया जा रहा है। योग के शिक्षक डॉ अमरजीत यादव योग का अभ्यास व प्रशिक्षण दे रहे है। इसके साथ ही यूट्यूब के माध्यम से भी लोगों को योग की जानकारी दी जा रही है। डॉ अमरजीत यादव ने बताया कि शताब्दी उत्सव के दौरान आज तृतीय योग शिविर का आयोजन फाइन आर्ट्स फ़ैकल्टी में मुक्ताकाशी मंच पर आयोजित किया गया। आज के शिविर में योग वक्ताओ ने बताया कि आधुनिक जीवन से सम्बंधित रोग उच्च रक्तचाप,मोटापा, मधुमेह,तथा दमा के प्रबंधन में योग की विभिन्न विधियां बहुत ही कारगर है उच्च रक्तचाप में अनुलोम विलोम, चन्द्रभेदी एवं भ्रामरी तथा पद्मासन,कटी चक्रासन,अर्धचक्रासन वज्रासन उपयोगी है तथा मोटापा के प्रबंधन में कपालभाति सूर्यनमस्कार पादहस्तासन, त्रिकोणासन उपयोगी हैं अस्थमा के प्रबंधन में अनुलोम विलोम,एवं उष्ट्रासन, अर्धचक्रासन,भुजंगासन उपयोगी हैं।

वर्तमान में शारिरिक एवं मानशिक रोग का कारण अनिमियत जीवन शैली एवं गलत खान पान हैं अनियमित जीवन शैली के कारण शरीर मे स्वास्थ्य के स्तर गिरता हैं और शरीर के मुख्य अंग कार्य करने में असमर्थ होने लगते है संतुलित जीवन जीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर का रोग स बचाव होता हैं योग औषधि विहीन चिकित्सा पद्धति होने के साथ साथ जीवन जीने की महत्वपूर्ण कला हैं जीवन मे ख़ुशहाली एवं स्वास्थ्य रहने के लिए योगासन प्राणायाम मुख्य आधार है। भारतीय परंपरा के अनुसार शरीर को विलक्षण संरचना माना गया है। जीवन का लक्ष्य पहले से ही निर्धारित हैं जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए योग को अपनाना आवश्यक होगा। योग एवं अल्टरनेटिव मेडिसिन संकाय के शिक्षक एवम फ़ैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट्स के शिक्षक एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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