अमित मिश्रा ( मुम्बई ब्यूरो चीफ)
सोनी सब के ‘काटेलाल एंड संस’ की अदाकारा हैं जिया शंकर
आपने ‘काटेलाल एंड संस’ शो क्यों चुना ?
मैंने इस शो के लिये ऑडिशन दिया था तब मुझे इस रोल के लिये सिलेक्ट होने की बहुत उम्मीद नहीं थी। मुझे यह भी यकीन नहीं था कि मैं हरियाणवी अंदाज में बोल सकूंगी। लेकिन मैं यह करना चाहती थी और चीजें अपनेआप आसान होती गईं। ‘काटेलाल एंड संस’ ऐसे शोज में से एक है, जिनके लिये मैं सचमुच रोमांचित हूँ।
इस शो का कॉन्सेप्ट वाकई कितना प्रेरक है, इस पर आपके विचार ?
ये कॉन्सेप्ट यकीनन प्रेरक है। मुझे लगता है कि टेलीविजन पर ऐसे कुछ ही शोज हैं, जो असल जिन्दगी पर आधारित हैं। इसकी कहानी सचमुच सशक्त है और बताती है कि अगर औरत कुछ करना चाहे तो निश्चित रूप से उसमें कामयाब हो सकती है।
सुशीला किरदार की क्या खास है ?
वह पूरी तरह से बेफिक्र और बिंदास है। मैं पहले भी ऐसे किरदार कर चुकी हूँ, लेकिन सुशीला जैसा कोई नहीं है। वह टॉम ब्वॉय है, उसका दिमाग गरम रहता है और किसी को मारने से पहले वह दोबारा नहीं सोचती है। उसे फिजिकल ट्रेनिंग पसंद है और कोई उससे भिड़ नहीं सकता। सुशीला एक आजाद पंछी की तरह है। वह रणदीप हुड्डा की सबसे बड़ी फैन भी है… इस रोल के लिये मैंने कई एक्शन सीक्वेंस किये हैं, पंचिंग बैग्स से लेकर फाइट सीक्वेंस तक।
‘सपनों का कोई जेंडर नहीं होता’, इस वाक्य पर आपके क्या विचार हैं?
मुझे यह वाक्य पसंद है, क्योंकि यह एक सुंदर विचार को रेखांकित करता है। आज मर्द और औरत हर फील्ड में एक-दूसरे को टक्कर दे रहे हैं। उदाहरण के लिये हमारी एंटरटेनमेन्ट इंडस्ट्री को ही देखिये, जहाँ पहले महिला मेकअप आर्टिस्ट नहीं होती थीं, लेकिन अब कई हैं। हमारे पास महिला निर्देशक, सिनेमेटोग्राफर, आदि हैं। यह बहुत सशक्त करने वाली बात है। यह महिलाएं वाक्य ‘सपनों का कोई जेंडर नहीं होता’ को परिभाषित और साकार करती हैं।
क्या आपको हरियाणवी बोली का अभ्यास करना पड़ा? यह आपके लिये कितना कठिन या आसान था?
हरियाणवी सीखना मुझे ज्यादा कठिन नहीं लगा। मुझे याद रखने में थोड़ी कठिनाई होती है, बोलने में मुझे कठिनाई नहीं हुई। हमने हरियाणा की सही बोली के लिये बहुत वर्कशॉप्स और पढ़ाई की थी।
क्या आप अपने किरदार सुशीला से मिलती-जुलती हैं?
मैं खुद को सुशीला में ढाल रही हूँ। यह किरदार और शो मेरे लिये प्रेरक रहे हैं, उन्होंने मुझे अहसास कराया कि मैं एक्शन सीक्वेंस भी कर सकती हूँ, जैसे चलते हुए टेम्पो से कूदना, बैग खींचना और भारी वजन उठाना। मैं सुशीला की तरह मजबूत बनने के लिये लगातार ट्रेनिंग कर रही हूँ और फाइट सीक्वेंस में मुझे हर कभी चोट लग जाती है। लेकिन मुझे यकीन है कि इसका फल मीठा होगा।
अब तक की शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
बेहतरीन… ऐसी बेहतरीन टीम और साथी कलाकारों का मिलना मेरा सौभाग्य है। काटेलाल एंड संस के साथ मेरी यात्रा कर हर कदम बेहतरीन रहा। हम यादें संजो रहे हैं और उम्मीद है कि यह जारी रहेगा।
जिया शंकर को दबंग सुशीला के रूप में हर सोमवार से शुक्रवार रात 7:30 बजे से सोनी सब पर देखा जा सकता है।