अखिल भारतीय अधिकार संगठन ने एक देश एक नाम के लिए जून 2016 में प्रधानमंत्री से क्या लिखित रूप में कहा था वह आज जानना जरूरी है

डॉ आलोक चांटिया, अखिल भारतीय अधिकार संगठन.

आदरणीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार मैंने आपको ८ जून को संदर्भ संख्या 0197985 से इंडियन के नाम का अर्थ ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में उल्लिखित अर्थो के प्रकाश में इंडिया का नाम बदलने के लिए प्रार्थना इस लिए दिया था। जब आप विदेशो से कला धन लाकर चोरी की मुर्तियां लाकर इस देश के नाम को स्थापित कर रहे है। तो फिर एक गलत नाम पर भी गंभीरता पूर्वक कार्य होना चाहिए और जब भारत का नाम भारत ही है तो उसको इंडिया के नाम से क्यों जाना जाये पर मेरी बात को कॉमन कमेंट कह निस्तारित कर दिया गया। एक भारतीय कहे या १०० करोड़ भारतीय कोई गलत बिंदु वही महत्व रखता है ये मेरा मानना है। ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी के एक गलत शब्द को लेकर हम लोग कैसे गरिमा पूर्ण जीवन जी रहे है। यही मेरी समस्या है और यही मैं जानना चाहता हूँ। 8 जून को जो पत्र मैंने आपको लिखा था वो पुनः विधिक अख्या हेतु आपको सदर प्रेषित है। यदि आप ने ऐसी बातो पर ध्यान नहीं दिया। तो इस देश में और कोई दूसरा कभी देगा भी नहीं।

आज मैं अपने मन की जो बात आपसे कहने जा रहा हूँ वो आप जैसे राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखने वाले व्यक्ति ही महसूस कर सकते है . महोदय मद्रास बम्बई और कोलकाता आदि शहरो का नाम बदल कर सही किया गया पर आज तक भारत के नाम को सही नहीं किया गया। विश्व के सभी देश को चाहे किसी भाषा में कहा जाये उसका नाम एक ही होता है। पर भारत के सन्दर्भ में ऐसा नहीं है। अमेरिका , जापान , इंग्लैंड श्री लंका यहाँ तक कि पाकिस्तान को भी हिंदी और अंग्रेजी में एक ही नाम से पुकारा जाता है लेकिन भारत को इंग्लिश में इंडिया कहा जाता है। जो सही नहीं है। विश्व में कोलंबस वास्कोडिगामा आदि लोगो के भारत खोजी अभियान के कारण जब वो गलत जगहों पर पहुचे तो वहा के लोगो को भारत का समझ कर उनको उसी नाम से पुकारने लगे।

अमेरिगो ने अमेरिका की खोज भी गलती से की और वह अपनाई जाने वाली जनजाति को रेड इंडियन्स कह कर संबोधित कर दिया। चुकि रेड इंडियन्स जंगली थे. इसलिए ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी के पेज नंबर 789 पर इंडियन्स को परिभाषित किया गया है। इस पेज पर लिखा है। ओल्ड फैशंड एंड क्रिमिनल पीपुल्स यानि प्राचीन परमपराओ और अपराधी लोगों को इंडियन्स कहा गया है। इसका मतलब ये हुआ कि अंग्रेज चालाकी से भारत को इंडिया कह कर ऐसे लोगो के रूप में इस देश को परिभाषित कर गए, जो असभ्य और अपराधी लोगो का देश था। जब कि वास्तविकता इससे अलग है।

नालंदा और तक्षशिला यूनिवर्सिटी और वेदों उपनिषदों में स्पष्ट है कि भारत सभ्यता के मामले में कही आगे रहा है और दुनिया की सबसे प्राचीन और उन्नत सभ्यता सिधु घाटी इस बात का प्रमाण है। फिर ऐसे देश को इंडिया कह कर उसका अपमान करना ठीक नहीं है। यही नहीं इसके पीछे दलील ये दी जाती है कि इंडस नदी के कारण इस देश का नाम इंडिया रखा गया। अगर ये भी सही है तो अब सिधु नदी इस देश में है ही नहीं और यदि ये तर्क सही है तो पाकिस्तान के नाम में इंडस का उल्लेख क्यों नहीं है। इसका मतलब यही है अंग्रेज बड़ी ही चालाकी और धूर्तता के साथ इस देश के नाम को बदनाम कर गए और एक ऐसा नाम रख दिया जो ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में जिस रूप में लिखा है। वो सिर्फ हमको एक अपमानित करने वाला शब्द है। न हम सब असभ्य है और न ही अपराधी। आज दुनिया के करीब करीब सारे देश हमारे यहाँ के वैज्ञानिको और डाक्टर , इंजीनियर से ही चल रहे है। विकास कर रहे है। नासा इस बात का प्रमाण है . हम सिर्फ ये कह कर नहीं सकते कि संविधान में अनुच्छेद एक में स्पष्ट कर दिया गया है कि इंडिया दैट इस भारत, क्योकि इस अनुच्छेद से भी ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी की ही परिभाषा प्रमाणित होती है।

इसलिए आपसे निवेदन है कि अब समय आ गया है कि देश के नाम को उसका पूर्व वाला सम्मान दिया जाये और जैसे विश्व के दूसरे देशो के नाम हर भाषा में एक है। वैसे ही इस देश का नाम भारत हो और यहाँ का रहने वाला भारतीय हो। ना कि ये देश इंडिया कहलाये और यहाँ के रहने वाले इंडियन। जिनको ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी एक अपराधी के रूप में चित्रित करती है। इस प्रकरण की पूरी जाँच करते हुए अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे निवेदन करता है कि भारतियों के असली और वास्तविक सम्मान और गरिमा को दिलाने की कृपा करें .

आपका आलोक चान्टिया

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