डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारत में आदिकाल से ही निर्माण कला अध्ययन का एक विषय रहा है। विश्वकर्मा जी को इसका देवता माना गया।
भारत की वस्तु कला भी विलक्षण रही है,इसके अनेक प्रमाण आज भी उपलब्ध है। ब्रिटिश काल में सर एम विश्वेश्वरय्या ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्नीस सौ साठ में मैसूर में उनका जन्म हुआ था। इंजीनियरिंग क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। इसीलिये उनका जन्म दिवस इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है। जब देश में सीमेंट तैयार नहीं होता था तब उन्होंने कृष्ण राज सागर बांध का निर्माण कराया था। प्राकृतिक जल स्रोत्रों से घर घर में पानी पहुंचाने का कार्य उन्होंने कराया। गंदे पानी की निकासी के लिए नाली नालों की समुचित व्यवस्था भी करवायी। चीफ इंजीनियर के रूप में उन्होंने उन्नीस सौ बत्तीस में कृष्ण सागर बांध का निर्माण करवाया। अपने साथियों के साथ मिलकर उन्होंने मोर्टार तैयार किया जो सीमेंट से ज्यादा मजबूत था। यह बांध उस समय का एशिया का सबसे बड़ा बांध था। इस बांध से कावेरी,हेमावती और लक्ष्मण तीर्थ नदियां आपस में मिलती है।
इसके अलावा भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्टरी,मैसूर विश्वविद्यालय,बैंक ऑफ मैसूर, मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना उनके प्रयासों से हुई। उन्होंने कई कृषि, इंजीनियरिंग और औद्योगिक कॉलेज भी खुलवाए। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अभियंताओं का आह्वान किया कि वे भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जीवन से प्रेरणा लेकर शैक्षिक सामाजिक व आर्थिक उत्थान में योगदान दें। उन्होंने अभियंताओं को देश के समृद्ध अभियंत्रण कौशल का वाहक बताया। उनसे अपनी प्रतिभा,ज्ञान और दक्षता के बल पर सड़क निर्माण के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित करने का आह्वान किया।