डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

भारत सांस्कृतिक उत्सवों का देश रहा है। यहां की सांस्कृतिक विविधता अद्भुत रही है। उनके असंख्य रूप है,लेकिन उत्साह का मूलभाव समान है। यही विविधता को एकसूत्र में जोड़ने का माध्यम है। लखनऊ में ऐसे ही सांस्कृतिक उत्सव का महापौर संयुक्ता भाटिया ने उद्घाटन किया। इस उत्सव में कलाकारों ने भारतीय संस्कृति अनेक मोहक रूपों को प्रस्तुत किया। संयुक्ता भाटिया ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ साथ नष्ट होती रही हैं, किन्तु भारत की संस्कृति आदि काल से ही अपने परम्परागत अस्तित्व के साथ अजर अमर बनी हुई है।

पाश्चात्य विद्वान अपने देश की संस्कृति को समझने हेतु भारतीय संस्कृति को पहले समझने का परामर्श देते हैं। पाश्चात्य संस्कृति का परित्याग कर भारतीय संस्कृति को अपनाना होगा,तभी भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना संभव होगा। कोरोना काल मे विश्व, भारतीय संस्कृति के अनुपम देन नमस्ते सहित तुलसी की ओर देख रहा है,आज सम्पूर्ण विश्व भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित है।

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