डॉ दिलीप अग्निहोत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रारंभ में ही जय जवान जय किसान को चरितार्थ करने का संकल्प लिया है। इसमें किसानों की आय दोगुनी करना और भारत को रक्षा सामग्री का निर्यातक बनाने का मंसूबा शामिल था। पिछली सरकार के समय इन दोनों ही क्षेत्रों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था। किसानों को पर्याप्त खाद उपलब्ध नहीं होती थी,उपज के भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं थी,लाखों करोड़ रुपये की सिंचाई परियोजनाएं लम्बित थी। इसी प्रकार सामरिक क्षेत्र भी अपेक्षित था। रक्षा कमांडरों ने कमियों की ओर ध्यान भी आकृष्ट किया था। उनके अनुसार चीन व पाकिस्तान की तैयारियों के दृष्टिगत भारत को भी कदम उठाने होंगे। लेकिन यूपीए सरकार लापरवाह बनी रही। नरेंद्र मोदी सरकार ने जवान और किसान दोनों ही मोर्चों को संभाला। पिछले कार्यकाल की शुरुआत में ही नीम कोटिंग खाद की व्यवस्था की गई। इसका उत्पादन बढ़ाया गया। इससे किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध होने लगी। मृदा परीक्षण व ड्रिप सिंचाई अभियान चलाया गया। इससे कृषि लागत में कमी आई। अनेक लम्बित सिंचाई योजनाओं पर कार्य शुरु किया गया। कई योजनाएं पूरी हुई। किसानों को अबतक का सर्वाधिक समर्थन मूल्य प्रदान किया गया। किसान सम्मान निधि के माध्यम से उनको आर्थिक सहायता देने की योजना लागू की गई। फसल बीमा को व्यवहारिक बनाया गया। अनेक प्रमुख व अपरिहार्य रक्षा डील पूरी की गई। राफेल विमान भारत आ गए है। रूस से भी हथियार मिल रहे है।
इसके साथ ही भारत की रक्षा सामग्री का हब बनाने की दिशा में कार्य हो रहा है। लखनऊ में अब तक कि सबसे बड़ी डिफेंस एक्सपो का आयोजन किया गया था। इसमें हजारों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले थे। डिफेंस कॉरिडोर को कार्य प्रगति पर है। इसके इर्द गिर्द रक्षा उत्पाद उद्योग की स्थापना की जाएगी। यह सब भारत को।आत्मनिर्भर बनाने का अभियान है। प्रधानमंत्री ने खेती के लिए एक लाख करोड़ का फंड जारी किया। इससे गांवों में रोजगार के अवसर तैयार होंगे। आठ करोड़ से अधिक किसानों को सत्रह हजार करोड़ किसानों के खाते में जमा हो गए। मोदी ने कहा कि इसमें बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं है। अब तक पचहत्तर हजार करोड़ रुपए किसानों के खाते में जमा हो चुके हैं। विकास की दौड़ में गांव पीछे रह गए थे। गांव में उद्योग नहीं लगाए जाते थे, किसानों को अपनी उपज बेचने की उचित व्यवस्था नहीं थी। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसान और उनसे जुड़े सारे सवालों के जवाब ढूंढे जा रहे हैं। सरकार एक देश,एक मंडी की योजना पर काम कर रही हैं। कानून बनाकर किसान को मंडी टैक्स के दायरे से मुक्त कर दिया गया है। किसान खेत में ही उपज का सौदा कर सकता है, या वेयरहाउस से जुड़े व्यापारियों को दे सकता है,जो भी उसे ज्यादा कीमत दे। किसान अब उद्योगों से भी सीधी साझेदारी कर सकता है। ऐसी सभी योजनाओं का निर्माण छोटे किसानों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है। देश की पहली किसान रेल महाराष्ट्र बिहार के बीच शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र से संतरा,फल, प्याज लेकर ट्रेन बिहार आएगी। वहां से लीची, मखाने,सब्जियां लेकर लौटेगी। इससे महाराष्ट्र,बिहार,उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। यह ट्रेन वातानुकूलित है। इसमें फसल खराब नहीं होगी। यह पटरी पर दौड़ता हुआ कोल्ड स्टोरेज है। इस ट्रेन से मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश के किसानों को भी फायदा होगा। एक लाख करोड़ रुपए के एग्री इंफ्रा फंड का इस्तेमाल गांवों में कृषि क्षेत्र से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में किया जाएगा। इस फंड से कोल्ड स्टोर, वेयरहाउस,साइलो, ग्रेडिंग और पैकेजिंग यूनिट्स लगाने के लिए लोन दिया जाएगा। एग्री इंफ्रा फंड कोविड से निपटने के लिए घोषित किए गए बीस लाख करोड़ रुपए के पैकेज का हिस्सा है। इस फंड के तहत दस वर्ष तक वित्तीय सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इस फंड को जारी करने का उद्देश्य गांवों में निजी निवेश और नौकरियों को बढ़ावा देना है। यह लोन प्राइमरी एग्री क्रेडिट सोसायटी, किसानों के समूह,किसान उत्पाद संगठनों,एग्री एंटरप्रिन्योर स्टार्टअप्स और एग्रीटेक प्लेयर्स को दिया जाएगा। इतना ही नहीं वार्षिक ब्याज में तीन प्रतिशत छूट दी जाएगी। प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत किसानों को एक साल में छह हजार रुपए की राशि तीन किस्तों में दी जाती है। इस प्रकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। गांवों में विकास से संबंधित ढांचागत सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। इसी प्रकार रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर भारत अभियान संचालित किया जाएगा। भारत ना केवल अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हथियार बनाएगा, बल्कि अगले चरण में उनका निर्यात भी किया जाएगा। इस क्रम में रक्षा मंत्रालय ने सैकड़ों वस्तुओं की सूची बनाई है,जिनके आयात पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इस सूची में कुछ उच्च तकनीक वाले हथियार सिस्टम भी शामिल हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह योजना बनाई गई है। लिस्ट को सेना,पब्लिक और प्राइवेट इंडस्ट्री से चर्चा के बाद तैयार की गई है। इसमें उच्च तकनीक वाले हथियार आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफलें, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट,उच्च क्षमता वाले रडार भी शामिल है। यह निर्णय भारतीय रक्षा उद्योग को खुद के डिजाइन और विकास क्षमताओं का उपयोग करके या फिर डीआरडीओ द्वारा विकसित तकनीकों को अपनाकर सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हथियारों के निर्माण का एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा।