संजीव रत्न मिश्रा, वरिष्ठ संवाददाता, वाराणसी.

 

“जौ काशी तन तेज कबीरा
तो राम कौन निहोटा”।

“अबकहु राम कहत गति मोरी।
तजीले बनारस मति भई मोरी।।”

जिस कबीरदास जी ने लगभग 600 वर्षो पहले काशी के गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले सडकों और चौराहों पर खड़े होकर सामाजीक व्यवस्थाओं से व्यथित अपनी रचनाओं को लयबद्ध कर लोगों से साथ चलने की अपील की थी, लेकिन समय हालात और बदली हुई परिस्थितियों ने शायद उनका साथ उस वक्त नहीं दिया, लेकिन अब इस बदलते आधुनिक हालात में कबीरदास के अनुयायियों ने काशी में कबीरदास जी के लालन पालन स्थल पर एक आधुनिक व्यवस्थाओं से परिपूर्ण एक हाई-टेक झोपड़ी बनाई है, इस झोपड़ी के अंदर लोगों को कबीरदास जी की वाणी जीवन का ज्ञान देगी जो आज कबीर को नजदीक से जानना चाहते हैं।

कबीरदास जी की कर्मस्थली कबीर चौरा मूलगादी पर लगभग 10 सालों से इस हाईटेक झोपड़ी को बनाने का प्रयास चल रह था। कबीरदास जी का पालन पोषण करने वाले माता-पिता नीरू और नीमा की समाधि के पास लगभग एक करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से 7000 वर्गफिट में बने इस हाईटेक झोपड़ी में कबीर के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से को लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाएगा, साथ ही 8 से 10 मिनट के अंदर की रिकार्डिंग सुनाई जायगी जिसमें कबीरदास जी खुद अपनी जीवन गाथा लोगों को सुनाएंगे.

कबीरचौरा मूलगादी को पर्यटन मानचित्र पर मुख्य रुप स्थापित करने के लिये जर्मनी और नीदरलैंड की तकनीक का इस्तेमाल कर पश्चिम बंगाल,बिहार, छत्तीसगढ़ सहीत कई राज्यों के कारीगरों द्वारा मुगल शैली पर आधारित यह अद्भुत हाईटेक झोपड़ी लगभग बन कर तैयार है।कोलकाता और भागलपुर के साथ अन्य कई अन्य शहरों के कलाकारों द्रारा तैयार किये गये इस झोपड़ी में ना कोई गेटमैन होगा ना ही टोकन सिस्टम होगा संत कबीर की निर्गुण वाणी की रिकार्डिंग हर किसी को सुनाई देगी और 2 कमरों की झोपड़ी में एक कमरे में कबीरदास जी के श्रम साध्य जीवन के इस्तेमाल किए जाने वाली वस्तुओं के साथ एक “खाट” और पुराने समय में इस्तेमाल होने वाली “ढिबरी” (एक तरह का आयल लैम्प) रख्खा होगा।

कबीरपंथ प्रमुख और कबीर चौरा मूलगादी के महंत आचार्य विवेक दास जी के अनुसार इस हाईटेक झोपड़ी में मौजूद चीजें यहां आने वाले पर्यटकों अलग और आकर्षक तरीके से कबीरदास जी के जीवन से परिचय कराने का प्रयास करेगी
प्रवेश गेट से अंदर आते ही पर्यटकों को हथकरघे की आवाज के साथ संगीत में कबीर के भजन और दोहे भी सुनाई देंगे 14 साल के बच्चे की आवाज में कबीरदास जी अपनी जीवन गाथा सुनाते हुए स्वागत करेगें इसके लिए कबीर जी के जीवन के आधार पर उस वक्त के काल खंड और जीवन परिचय को लेकर वॉइस रिकॉर्डिंग मुंबई के कलाकारों ने तैयार कर ली है। हथकरघा वाले कमरे के पास परिक्रमा मार्ग से आगे बढ़कर कबीरदास के कमरे की तरफ बढ़ेंगे वैसे ही शानदार लाइटिंग और म्यूजिक के साथ लोग एक अलग ही एहसास पा सकेंगे।

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