सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

  • चेयरमैन न माने सरकार की बात तो चेयरमैन बदलें
  • DM बंगले की बत्ती गुल पर धौहाँ फैक्ट्री आबाद
  • हाइडिल कालोनी की बिजली प्रशासन ने कटवाई

मिर्जापुर । दस-पांच सदी पीछे चलने के लिए बाध्यता की स्थिति उत्पन्न होती दिख रही है। एक बार फिर इस दौर को लालटेन युग में जीने के लिए तैयार रहना पड़ेगा क्योंकि सरकार तथा बिजलीकर्मी दोनों निर्णायक युद्ध में दिख रहे हैं।

उत्पादन ठप, डिस्ट्रीब्यूशन लचर-पचर तो जनता को मरना ही पड़ेगा

हड़ताल से बिजली का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। जो बिजली उत्पादित हो रही है, वह राजधानी, बड़े व्यावसायिक फर्मों को मिल रही है। नगरीय एवं ग्रामीण इलाकों में ट्रांसफार्मर और लाइनें जो क्षतिग्रस्त हो गईं हैं, उसे यदि हड़ताल वापस भी हो जाए तो ठीक करने में कई दिन लग जाएंगे, इस हालात में लालटेन के अलावा कोई उपाय नहीं है।

DM बंगला भी वंचित पर धौंहा फैक्ट्री जगमग

हड़ताल से DM बंगले की बिजली मंगलवार को फिर बाधित हुई पर जानकारी दी गई कि चुनार की वह धौंहा आयरन फैक्ट्री, जहां 10 दिनों पूर्व एक इंजीनियर की सरे-शाम हत्या हो गई थी, वह बिजली से आबाद है। प्राइवेट कुछ अन्य औद्यौगिक कल-कलकारखानों पर भी हड़ताल का असर नहीं है।

कालोनी की बत्ती गुल

जिलेमें बिजली को लेकर हा-हाकार के बीच जिला प्रशासन का तेवर गर्म दिखा तथा हाइडिल कालोनी की बिजली मंगलवार को गुल करा दी गई।

निर्णय घण्टे-दो घण्टे में करे सरकार

कहने को तो जनता जनार्दन होती है। जनार्दन तड़पे और कोई निर्णय न हो सके, यह कहाँ तक उचित है? सब सभी अधिकारियों ने समझौता-पत्र पर दस्तखत कर दिया तो चेयरमैन, विद्युत को भी करना चाहिए, वरना सरकार चेयरमैन बदले क्योंकि इससे सरकार की छवि पर असर पड़ रहा है।

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