डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल शिक्षा व समाज के प्रति दायित्व को पूरक रूप में मानती है। इसके अभाव में शिक्षा व शिक्षण संस्थाओं में अपूर्णता की स्थिति रहती है। शिक्षा मात्र अपने हित व आजीविका का माध्यम नहीं हो सकती। इसे सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ना चाहिए। शिक्षण संस्थानों को अपने इस दायित्व का भी गंभीरता से निर्वाह करना चाहिए। इसके दोहरे लाभ होते है। एक तो समाज में जरूरतमन्दों को सहायता मिलती है,दूसरा यह कि विद्यार्थियों में सामाजिक सरोकारों का संस्कार विकसित होता है।

वैक्सिनेशन कैम्प

वर्तमान कोरोना संकट के दौरान चिकित्सा संस्थानों की भी जिम्मेदारी बढ़ी है। आनन्दी बेन ने कहा कि चिकित्सा संस्थान के चिकित्सक कोरोना महामारी से निपटने हेतु बनी निगरानी समिति के सदस्यों को जागरूक करें। कोरोना की तीसरी लहर को दृष्टिगत रखते हुए यह आवश्यक है कि लोगों को किट, सेनेटाइजर और मास्क का उपयोग कैसे करना है, इसके लिए प्रेरित करें। इसके साथ ही संस्थान में आने वाले मरीजों के तीमारदारों का कैम्प लगाकर वैक्सीन लगायें।
राज्यपाल जी ने कहा कि संस्थान कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने का काम करें। उनकी समुचित देखभाल की व्यवस्था भी करें ताकि उन बच्चों को भी पारिवारिक माहौल मिल सके और उनकी शिक्षा भी बाधित न हो। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही संस्थान नयी शिक्षा नीति के प्राविधानों को तैयार करके यथाशीघ्र लागू करें। आनंदीबेन पटेल ने राजभवन से संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ तथा डा राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ की आनलाइन समीक्षा बैठक की।

पारदर्शी व्यवस्था

उन्होंने कहा कि विभिन्न शैक्षणिक पदों पर भर्ती के माध्यम से नियुक्ति में पारदर्शिता तथा शासन द्वारा निर्धारित एक समान चयन प्रक्रिया अपनायी जाय और विज्ञापन में सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लेख हो और उसे वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाए। चिकित्सीय उपकरणों तथा दवाओं के क्रय करने वाली व्यवस्था पर भी विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उन्होंने निर्देश दिया कि क्रय किये जाने वाले चिकित्सीय उपकरणों तथा दवाओं को अधिकृत संस्थान से ही क्रय किया जाय। उन्होंने कहा कि संस्थान के जो विवाद न्यायालय में लम्बित चल रहे हैं, उनकी समीक्षा करने के साथ-साथ निस्तारण हेतु आवश्यक कदम उठाये जाये।

महिला सशक्तिकरण

राज्यपाल ने कहा कि संस्थान में संचालित महिला उत्थान केन्द्र मात्र औपचारिक केन्द्र बनकर न रहें, बल्कि संस्थान महिला एवं बालिका समूह बनाकर उन्हें शिक्षा, स्वावलम्बन तथा सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु प्रेरित करें। इसी प्रकार संस्थान नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों को बुलाकर स्वास्थ्य, कुपोषण, क्षय रोग से पीड़ित रोगियों, गर्भवती महिलाओं का शत-प्रतिशत अस्पताल में प्रसव कराने, विधवा पेंशन,वृद्धा पेंशन, राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दें।

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