सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.
- ऊर्जा के आध्यात्मिक धाम विन्ध्याचल और प्रशासनिक धाम DM बंगले की विद्युत-व्यवस्था बाधित
- विद्युतकर्मियों के हड़ताली करंट से त्राहिमाम की हालत
मिर्जापुर । बिजली जैसी व्यवस्था को प्राइवेट बिजनेसमैनके हाथों सौंपने को लेकर 7 दिनों से जेल-भरो और एक घण्टे के प्रतिदिन धरने का आठवां दिन भारी अव्यवस्था से भरा दिन था। हड़ताली विद्युत अभियन्ताओं के प्रभाव को निष्प्रभावी करने के लिए जिला प्रशासन प्लानिंग को अमल करा रहा था तो दूसरी ओर विद्युत आपूर्ति बाधित होने से आधा जिला कब आएगी बिजली? की रट लगाए था।
विंध्यधाम, DM बंगला, रेलवे कालोनी अंधेरे में
उक्त इलाकों के अलावा मुख्यालय का बड़ा इलाका भी प्रभावित रहा। बाजार, कलकारखाने सब हाथ-पर-हाथ धरे बैठे थे। बड़ी मशक्कत के बाद शाम DM बंगले की ओर आपूर्ति शुरू भी होती रही और बंद भी होती रही।
कब आएगी बिजली, यह हमें नहीं पता !
रूटीन में बिजली जाने पर जिन अभियन्ताओं से लोग पुछताछ करते थे कि बिजली कब आएगी?, उन नम्बरों से यही बताया गया कि ‘हमें नहीं मालूम, लेखपाल जी से पूछ लीजिए।’
सबस्टेशन डिप्लोमा छात्रों और लेखपालों के हवाले
हड़ताल के चलते वैकल्पिक व्यवस्था के तहत ड्यूटी पाकिटेक्निक, आईटीआई तथा कतिपय प्राइवेट संस्थानों के हवाले किया गया है। पहले तो प्रशासन ने कहा कि लिखित में चार्ज हैंड-ओवर किया जाए लेकिन हड़ताली कर्मियों और इंजीनियरों ने ऐसा करने से मना कर दिया। मजबूरन वैकल्पिक व्यवस्था को व्यवस्था सौंपी गई।
पूर्वांचल के 21 जिले प्राइवेट व्यवसायियों के हाथ
सरकार के उक्त निर्णय से 33 हजार केवीए के मूड में विद्युतकर्मी और इंजीनियर आ गए है। लखनऊ में गिरफ्तारियां शुरू हुईं जिसकी परिणति 5/10 को महाविस्फोट के रूप में दिखाई दी।
बिजली पर हाथ जो भी रखा, झटका खाया
विद्युत-संगठनों का दावा है कि इस विभाग को जिसने भी दबाने की कोशिश की, वह सफल इसलिए नहीं हुआ क्योंकि जहाँ अप्रशिक्षित लोग गलत इंजीनिरिंग किए कि सबस्टेशन धूँ-धूँ कर जल जाएगा ।
बहरहाल सोमवार की रात विद्युतमन्त्री की मुख्यमंत्री के साथ देर-रात बैठक से उम्मीद जगी है कि कोई न कोई हल निकल सकता है।