डॉ दिलीप अग्निहोत्री
रोहतांग सुरंग का सपना अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने इसकी कार्य योजना भी बनाई थी। इसका सामरिक रूप से बहुत महत्व है। नरेंद्र मोदी सरकार ने इस बेहद कठिन कार्य को पूर्ण करके दिखा दिया। इतनी ऊंचाई पर विश्व की सबसे बड़ी सुरंग का निर्माण आसान नहीं था। यहां के पत्थर बहुत कठोर है। इसके अलावा अनेक दुर्गम स्थल भी इसके रास्ते में थे। इन सबका मुकाबला किया गया,उनका समाधान किया गया। इसका आधुनिक दृष्टि से निर्माण किया गया है। इसका व्यापक महत्व है। चीन से संघर्ष की दशा में यह बहुत उपयोगी साबित होगी। पहले इसका नाम रोहतांग सुरंग था। इसके निर्माण की योजना अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाई थी। इसलिए उनके नाम पर उसका नामकरण किया गया। नौ किमी लंबी यह सुरंग दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस प्रकार इसे दुनिया की सर्वाधिक ऊंचाई पर निर्मित सुरंग का गौरव मिला। इससे लेह और मनाली के बीच की दूरी छियालीस किमी कम हो जाएगी। अटल जी के निर्देश पर इस परियोजना पर विचार प्रारंभ किया गया था।
दो हजार तीन में इस परियोजना को अंतिम तकनीकी स्वीकृति मिली थी। इससे रोहतांग दर्रे के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हुआ है। मनाली वैली से लाहौल और स्पीति वैली तक पहुंचने में करीब पांच घंटे का समय लगता था। अब मात्र दस मिनट लगेंगे। पहले बर्फबारी के कारण वर्ष में छह महीने यह मार्ग बंद रहता था। अब लद्दाख में तैनात सैनिकों सुगम संपर्क कायम रहेगा। उन्हें हथियार और रसद न्यूनतम समय में पहुंचाई जा सकेगी। आपात परिस्थितियों के लिए इस सुरंग के नीचे एक अन्य सुरंग का भी निर्माण किया जा रहा है। यह किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए बनाई जा रही है और विशेष परिस्थितियों में आपातकालीन निकास का काम करेगी।