सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

 

मिर्जापुर। स्मृतियों के वाद्ययंत्रों की गूंज से संगीत-नायक डॉ ओमप्रकाश पांडेय ‘मलिक’ का नाम सुनाई पड़ रहा है। यहां के कमला आर्यकन्या पीजी कालेज में संगीत-प्रवक्ता बनकर आए डॉ मलिक के सिर्फ गुनगुनाने मात्र से संगीत खुद अभिभूत होकर नदियों के जल जैसे हिलोरे लेने लगता था, पेड़-पौधे की टहनियों पर उगे पत्र-पुष्प-सा झूमने लगते थे। शुष्क वातावरण शरद और वसंत जैसा लगने लगता था। पाषाणवत हृदय पिघलने लगता था। उन्हें ‘मलिक सर’ कहते थे लोग, यानी वे सचमुच संगीत के सिर (मस्तिष्क) थे।

12 जनवरी ’19 को चुपके से घूंघट में मुंह छुपाकर एक त्रासदी आई और अपना त्रासदीस्वरूप खत्म करने के लिए मलिक जी को अपना मालिक बना लेने में सफल हो गई। आज उसी 12 जनवरी ’21 को उनकी पुण्य-तिथि पर एक बार फिर करुण-रस की गंगा बहेगी उनके आवास पर । इस मौके पर श्रद्धांजलियों के बीच उनकी कलाएं फिर जीवंत हो जाएंगी।

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