डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
क्या आज आप भी उस भीड़ का हिस्सा बने जो ये दिखाना चाहता है कि उसने विवेकानंद को सबसे ज्यादा समझा है पर क्या आपको पता है कि नरेंद्र तब विवेकानंद बनता है जब वो अपनी विवाहित बहन को ससुराल में आत्महत्या करते देखता है | अपने ही सामने अपनी माँ को विधवा बनते देखता है और एक दो नहीं करीब चालीस गुरुओं के पास जाकर भगवान को देखने की बात करता है पर अपनी इस तलाश में जब वो चालीसवें गुरु राम कृष्ण परमहंस के पास जाता है तो तब नरेंद्र विवेकानंद बनता है | नरेंद्र को अपने नाते दार , रिश्तेदारों के छल कपट , मुक़दमे बाजी से होकर गुजरना पड़ता है , नरेंद्र का भाई वर्षो अपने घर से अचनक गायब हो जाता है पर वो विचलित नहीं होता | नैन्द्र भारत में दर दर भटकता है कि कोई उसकी आर्थिक मदद कर दे तो वो शिकागो विश्व धर्म सम्मलेन में भाग लेकर भारत के दर्शन को प्रस्तुत कर सके पर हमेशा की तरह ही ज्ञान का अपमान हुआ और कही से सहयता ना मिलने पर नरेंद्र लिमडी और मोरवी के राजा की मदद से शिकागो पहुचता है | वहां पर वो कड़ी सर्दी में सिर्फ अपनी बात कहने के लिए धर्म सम्मलेन की सदस्या के घर के बाहर पड़ा रहता है और उसकी इस तपस्या के कारण वो अपने देश की बात करके विवेकानंद बनता है |
नरेंद्र ये कह कर बातें नहीं बनाता कि अगर उसको पूरा समय दिया गया होता तो वो अपनी बात रखता| नरेंद्र सभी के बाद बोलने के समय पता है वो भी सिर्फ २ मिनट और वो इस देश की ऐसी तस्वीर रखता है कि वो विवेकानंद बन जाता है| नरेंद्र अपने कमरे में एक सम्मनित महिला के प्रेम निवेदनऔर शारीरिक आकर्षण को इतना निष्क्रिय कर देता है कि मार्गेट नोबेल प्रेमिका के छोले से निकल कर उनकी भगिनी ( बहन ) निवेदिता बन जाती है तब नरेंद्र विवेकानंद बनता है| अपने को अमर करने की चाहत के बजाये अपने गुरु को अमर करने का प्रयत्न नरेंद्र को विवेकानंद बनाता है |
नरेंद्र मठ या माँ तपेश्वरी देवी के नाम के बजाये राम कृष्ण मिशन की स्थापना का पवित्र कार्य करके भाई भतीजा वाढ परिवार वाढ से ऊपर उड़ने वाला नरेंद्र हमारे लिए विवेकानंद बनता है | क्या आप ने कभी नरेंद्र के जीवन का कोई अंश छुआ भी या सिर्फ १२ जनवरी को विवेकानंद का नाम लेकर खुद को अमर करने की जुगत में आप लगे है | आज के दिन जिन लोगो ने विवानन्द का नाम लेकर जगह जगह कार्यक्रम किया हो उनको अपने अंदर नरेंद्र की परछाई ढूंढनी चाहिए | रावण को राम नहीं कहा जा सकता है | कंस को कृष्ण नही कहा जा सकता है वैसे ही केवल कार्यक्रम करने वालो में नरेंद्र नहीं लाया जा सकता है | अगर लाना ही है तो आधुनिक नरेंद्र को विवेकानंद बनने का मौका दीजिये क्योकि आज विश्व को फिर विवेकानंद की जरूरत है ताकि भारत को दुनिया और अच्छी तरह से समझ सके क्या आप नरेंद्र को मौका देंगे विवेकानंद बनने का !!!!!!!!!!!!!!!! अखिल भारतीय अधिकार संगठन नरेंद्र के अंदर छिपे विवेकानंद को शत्त शत नमन करता है ..