डॉ दिलीप अग्निहोत्री

कोरोना संकट ने जीवन व व्यवस्था से जुड़े सभी पहलुओं को प्रभावित किया है। इस कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है,इसी के साथ नए प्रयोगों के चलन भी बढ़ा है। इसमें ऑनलाइन शिक्षा और इससे संबंधित अन्य गतिविधियां शामिल है। पहली बार वर्चुअल रूप में शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षकों को सम्मानित किया। अवसर व परिस्थिति के अनुरूप ही उन्होंने अपना सम्बोधन दिया। कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि अब से डिजिटल तकनीकों का उपयोग आवश्यक हो गया है। इसके लिए कौशल को अपग्रेड और अपडेट करना होगा। जिससे आपके शिक्षण की प्रभावशीलता और अधिक बढ़े। ऑनलाइन शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए अभिभावकों को भी सहयोग करना होगा। वह बच्चों के साथ इस प्रक्रिया में सहयोगी बनें और उन्हें रुचि के साथ सीखने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करने के साधन ग्रामीण, आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में भी हर वर्ग के बच्चों को प्राप्त हो सकें।

इसके अलावा नई शिक्षा नीति को सफल बनाने का जिम्मा शिक्षकों पर है। शिक्षा व्यवस्था में किये जा रहे बदलावों के केंद्र में अवश्य शिक्षक ही होने चाहिए। कोविंद ने कहा कि अच्छे भवन, महंगे उपकरण या सुविधाओं से स्कूल नहीं बनता। बल्कि एक अच्छे स्कूल को बनाने में शिक्षकों की निष्ठा और समर्पण ही निर्णायक सिद्ध होते हैं। शिक्षक ही सच्चे राष्ट्र निर्माता हैं। विद्यार्थी को अच्छा इंसान बनाना शिक्षक का दायित्व है। ऐसा इंसान जो तर्कसंगत विचार और कार्य करने में सक्षम हो,जिसमें करुणा और सहानुभूति,साहस और विवेक,रचनात्मकता, वैज्ञानिक चिंतन और नैतिक मूल्यों का समन्वय हो। शिक्षामंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने शिक्षकों को दिया पांच ‘टी’ और चार ‘क्यू’ का सन्देश दिया। पांच ‘टी’ में ट्रांसफॉर्म, टैलेंट, टेंपरामेंट,ट्रेजर, ट्रेनिंग शामिल है। चार ‘क्यू’ में आई क्यू,ई क्यू, एस क्यू और टी क्यू को रखा गया। गुरु शिष्य परंपरा हमारी पहचान रही है। अच्छे जीवन के लिए अच्छी शिक्षा होना अनिवार्य है। गुरु राष्ट्र निर्माण में योगदान देता है।

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