डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारतीय संस्कृति में प्रकृति संरक्षण का विलक्षण विचार समाहित है। पृथ्वी सूक्त के माध्यम से दुनिया को प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन के सन्देश दिया गया। वर्तमान समय में पर्यावरण को लेकर चिंता तो व्यक्त की जाती है। लेकिन भारत के अलावा अन्य किसी के पास इसका समाधान नहीं है। इतना ही नहीं भारत में जीव जंतुओं की भी उपयोगिता आदि काल में ही वैज्ञानिक दृष्टि से प्रमाणित कर दी गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार वन्य प्राणियों के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए लगातार कार्य कर रही है। हमारी संस्कृति में वनों एवं वन्य प्राणियों का विशेष महत्व है। हमारी संस्कृति अरण्य संस्कृति भी कहलाती है। गिद्ध संरक्षण केन्द्र पर्यावरण की शुद्धि का माध्यम बनेगा। प्रकृति के संरक्षण व उस क्षेत्र में ईको टूरिज्म की सम्भावनाओं को भी बढ़ाएगा।
इस वर्ष रिकाॅर्ड पच्चीस करोड़ पौधे लगाये हैं,जिससे प्रदेश का वनाच्छादन बढ़ा है। उन्होंने कहा कि आबादी बढ़ने के साथ ही जीवों का संरक्षण आवश्यक है। पर्यावरण का अर्थ सिर्फ मनुष्य नहीं है प्रत्येक प्राणि ईको सिस्टम को मजबूत बनाता है। इसमें एक कड़ी कमजोर होती है, तो ईको सिस्टम भी कमजोर होता है। गिद्धों के बारे में कहा जाता है कि यह प्रकृति और पर्यावरण की शुद्धि करता है। जैसे जल की शुद्धि में डाॅल्फिन का विशेष महत्व है, उसी प्रकार थल की शुद्धि में गिद्ध का महत्व है। विगत साढ़े तीन वर्षाें में सरकार के प्रयासों से टाइगर,गेंडा तथा हाथी की संख्या में वृद्धि हुई है। विगत तीन वर्षों में वर्तमान सरकार द्वारा किये गये वृहद् वृक्षारोपण एवं रोपित पौधों की प्रभावी सुरक्षा के परिणामस्वरूप वन स्थिति रिर्पोट 2019 के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2017 के सापेक्ष वर्ष 2019 में वनावरण में 127 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।