डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारतीय चिंतन में वसुधा को कुटुंब मानते हुए सभी के कल्याण की कामना की गई। कुछ दिन बाद अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। यह भी मानव हित संबन्धी भारतीय धरोहर है। वर्तमान समय में भारत का यह विचार पहले से अधिक प्रासंगिक हो गया है। वैश्विक महामारी कोरोना में सभी देशों ने परस्पर सहयोग सहायता का अनुभव किया है।
जी 7 संघठन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी तथ्य को प्रस्तुत किया। यह विकसित देश शामिल है। भारत को इसमें विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
साझा प्रयास अपरिहार्य
एक वर्ष पहले कोरोना की पहली लहर ने दुनिया में तबाही मचाई थी। इस बार जी सेवन का शिखर सम्मेलन अभूतपूर्व संकट के दौरान हुई। दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप है। इन दोनों कोरोना लहरों के सामने विकसित देश भी लाचार नजर आए थे। जबकि वहां की स्वास्थ्य सेवाएं बहुत सुदृढ़ हैं। लेकिन यहां की सरकारें महामारी का ठीक से सामना करने में असमर्थ रही। कोरोना की पहली लहर के दौरान भारत ने विकसित देशों को स्वास्थ्य संबन्धी सुविधा व सामग्री उपलब्ध कराई थी। दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग चार से पांच गुना बढ़ी तब विकसित देश भारत की सहायता के लिए आगे बढ़े थे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो वाईडेन ने कहा था कि अमेरिका संकट के समय भारत द्वारा दी गई सहायता को कभी भूल नहीं सकता। इसलिए भारत को ऑक्सीजन व वैक्सीन हेतु कच्चे माल की पर्याप्त आपूर्ति की गई। परस्पर सहयोग के इस अध्याय का एक बड़ा सन्देश भी है। वैश्विक महामारी के दौरान विकसित से लेकर अन्य सभी देशों को एक दूसरे के सहयोग की आवश्यकत पड़ सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कोरोना के दौरान हुए अनुभव को रेखांकित किया। कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने हेतु दुनिया के देशों को साझा प्रयास करने चाहिए। सभी जरूरतमंदों तक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना सर्वोच्च प्राथमिकता है। नरेंद्र मोदी ने वन अर्थ वन हेल्थ का आह्वान किया।
समग्र समाज का विचार
नरेंद्र मोदी ने जी-7 के बिल्डिंग बैक स्ट्रांगर हेल्थ संपर्क सत्र को संबोधित किया।महामारी से निपटने के लिए भारत के समग्र समाज के दृष्टिकोण को रेखांकित किया और सरकार,उद्योग और सिविल सोसाइटी के प्रत्येक स्तर पर प्रयासों में तालमेल के बारे में बताया। उन्होंने भविष्य की महामारी को रोकने के लिए वैश्विक एकजुटता,नेतृत्व और तालमेल को अपरिहार्य बताया। चुनौती से निपटने के लिए लोकतांत्रिक और पारदर्शी समाजों की विशेष जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने संपर्क का पता लगाने और टीकों के प्रबंधन के लिए ओपन सोर्स डिजिटल प्रणाली के सफल इस्तेमाल के बारे में भी बताया और दूसरे विकासशील देशों के साथ अपने अनुभव और विशेषज्ञता साझा करने की इच्छा प्रकट की।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मौरिसन ने सम्मेलन नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर वर्चुअल बात की और प्रस्ताव को डब्ल्यूटीओ में अपने देश का मजबूत समर्थन देने का वादा किया।
वैक्सीन पर सहयोग
फ्रांस के राष्ट्रपित इमेनुएल मैक्रों ने भारत समेत दूसरे देशों को वैक्सीन के कच्चे माल की आपूर्ति में छूट देने का प्रस्ताव किया। उन्होंने कच्चे माल से बैन हटाने की मांग की और कहा कि वैक्सीन बनाने वाले देशों को इसके लिए कच्चा माल मिलना चाहिए। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और कुछ अन्य देशों ने भी कोविड टीकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए पेटेंट पर छूट के मोदी के आह्वान का भी समर्थन किया है। भारत और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन में यह प्रस्ताव रखा है। सम्मेलन में कोरोना वायरस,फ्री ट्रेड और पर्यावरण पर विस्तार से चर्चा हुई। ज्यादा फोकस इसी बात पर रहा कि कैसे दुनिया को कोरोना महामारी से मुक्त करना है। यह समिट ब्रिटेन के कॉर्नवाल में हो रही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने नरेंद्र मोदी को विशेष रूप में आमंत्रित किया था। भारत G7 का सदस्य नहीं है। भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को भी इसमें आमंत्रित किया गया। नरेंद्र मोदी ने कोविड संबंधी प्रौद्योगिकियों पर पेटेंट छूट के संबंध में भारत, दक्षिण अफ्रीका द्वारा डब्ल्यूटीओ में दिए गए प्रस्ताव के लिए जी-7 के समर्थन का भी आह्वान किया। जी-7 में ब्रिटेन, कनाडा,फ्रांस,जर्मनी, इटली,जापान और अमेरिका शामिल हैं।