डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

भारत विविधताओं का देश है। इस विविधता में ही एकता के अनगिनत सूत्र है। यह भारत की विरासत को महान बनाते है। भारत में राष्ट्र राज्य की अवधारणा अति प्राचीन है। इसमें व्यवधान भी आये। लेकिन अनेक महान विभूतियों ने भारत राष्ट्रीय व सांस्कृतिक एकता में योगदान दिया। भावी पीढ़ी को मार्ग दिखाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में इस विषय को अनेक प्रसंगों के साथ उठाया। ज्ञान बोध से ही राष्ट्र व समाज का कल्याण किया जा सकता है। उन्होंने नवरात्र विजयदशमी के व्यापक विचार का उल्लेख किया। इससे आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। सद्वविचारों का प्रादुर्भाव होता है। शक्ति पूजा के मूल भाव को समझने की आवश्यकता है। नारी सम्मान के प्रति संकल्प लेने का यह अवसर भी होता है। प्रभु श्री राम ने आसुरी शक्तियों का नाश किया था। नरेंद्र मोदी ने इसी क्रम में महर्षि बाल्मीकि का स्मरण किया। उन्होंने रामकथा से लोगों का मार्गदर्शन किया। मर्यादा पालन की प्रेरणा दी। इकतीस अक्टूबर को उनकी जयंती है। यह भी प्रेरणा ग्रहण करने का अवसर होगा।

शंकराचार्य ने भी भारत की सांस्क्रतिक व आध्यात्मिक एकता के अनुरूप मठों की स्थापना की। आधुनिक काल में राष्ट्रीय एकता के शिल्पी सरदार पटेल की जयंती है।उन्होंने राजनीतिक मर्यादा व राष्ट्रप्रेम का सन्देश दिया। नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी उल्लेख किया। कहा कि इस दिन देश ने उनको खो दिया था। बात ज्ञान की चल रही थी। मोदी ने ज्ञान के प्रसार में लगे अनेक लोगों का उदाहरण दिया। पढ़ाई के लिए पेंसिल बनाने की लकड़ी उद्योग का उल्लेख किया। पुलमवा से ऐसी लकड़ी की नब्बे प्रतिशत आपूर्ति होती है। नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा बलों व स्वास्थ्य सेवा में जुड़े लोगों का भी अभिनन्दन किया। उन्होंने किसानों की भी चर्चा की। पिछले दिनों लागू किये गए कृषि कानूनों से उनको लाभ मिलने लगा गया। अनेक कम्पनियों किसानों से कृष उत्पाद खरीदने को आगे बढ़ी है। इससे किसानों को लाभ हो रहा है। आधुनिक तकनीक से भी कृषि उपज की बिक्री होने लगी है। भारत एक भी है,भारत श्रेष्ठ भी है। यह ज्ञानबोध प्रत्येक नागरिक में होना चाहिए।

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