सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.
- भाजपा-अपनादल में दिनोंदिन घटता अपनापन का भाव
- उर्जा राज्यमंत्री के विभाग पर करंट दौड़ाया अपनादल ने
- छोटे दलों से बढ़ती भाजपा की दूरी!
मिर्जापुर । भाजपा और अपनादल के बीच अपनापन गायब होता दिख रहा है और यह पराएपन की ओर कई कदम बढ़ गया है। इस प्रकरण को लेकर जाती हुई गर्मी में गर्मागर्म पकौड़े और चटनी की तरह खबरें यत्र-तत्र-सर्वत्र धुएं की तरह फैलती दिख रही हैं। धीरे-धीरे गुट बनने लगे हैं पर दोनों तरफ़ जोरदार व्यक्तित्वों की वजह से बहुतेरे तटस्थ हैं जबकि एक पूर्व जिलाधिकारी के कार्यकाल में भाजपा के ही नगरपालिकाध्यक्ष के बीच जब तलवारें चल रही थीं तो अधिकांश प्रशासन-गुट की डोली में बैठे नज़र आते रहे। इस समय ऐसे लोग भांप रहे हैं कि देंखे कि पकड़ा किधर भारी पड़ता है!
भाजपा और अपनादल का रिश्ता जिले में लगभग 36 का हमेशा रहा
केंद्र की पिछली सरकार में श्रीमती अनुप्रिया पटेल राज्यस्तरीय मंत्री थीं। उन दिनों अधिकांश उद्घाटन और शिलान्यास वही करती थीं। यहां तक कि भाजपा विधायक लगायत नेता उन समारोहों का बायकॉट करते रहे। सरकारी तंत्र से ही आवाज उठने लगी थी कि उन दिनों एक DM ऐसे आ गए जिन्होंने बिना उनकी स्वीकृति के हर उद्घाटन और शिलान्यास के कोई मातहत कार्यक्रम या शिलापट्ट नहीं बनवा सकता है।
इसी बीच लोकसभा चुनावके बाद पासा पलटा
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद परिस्थितियां बदल गईं और श्रीमती पटेल सरकार में मंत्री नहीं बन पायीं और उनके MLC पति प्रदेश में मंत्री नहीं बन पाए जबकि राज्यमंत्री के सिहांसन पर भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्री अरुण सिंह से ऊर्जान्वित होने वाले पार्टी विधायक श्री रमाशंकर पटेल राज्यमंत्री हो गए। भाजपा के बहुतेरे जो श्रीमती अनुप्रिया पटेल के खेमे की शोभा बढ़ा रहे थे, वे बाय-बाय कर अलग हो गए।
श्रीमती अनुप्रिया का लेटरों की कड़क
इधर कुछ दिनों से श्रीमती अनुप्रिया पटेल द्वारा कड़कदार लेटर प्रशासन को लिखे जा रहे हैं। जिसमें उनके कार्यों में प्रशासन की अरुचि, शिलान्यास कार्य्रकम में उपेक्षा आदि का जिक्र किया गया। प्रशासन की ओर से जवाब भी दिया गया। पेयजल योजना का शिलापट्ट हटवाया गया। जिसे श्रीमती पटेल के खेमे ने अपनादल का विजय देखा। प्रतीत होता है की इसी से उत्साहित होकर बुधवार को श्रीमती पटेल ने करंट का झटका देते हुए फिर पत्र लिख दिया जो ऊर्जा राज्यमंत्री के विभाग पर ही जाता दिख रहा है।
केंद्रीय विद्यालय का कनेक्शन क्यों कटा?
केंद्रीय विद्यालय का दावा है कि GIC परिसर में खुले केंद्रीय विद्यालय को निःशुल्क बिजली मिलती रही। यह दावा इसलिए सही नहीं है कि कोई ऐसा नियम नहीं है कि किसी व्यक्ति या संस्था को निशुल्क बिजली दी जाए। यहां तक कि राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री या किसी न्यायालय को नि:शुल्क बिजली दी जाए। ऐसी स्थिति में केंद्रीय विद्यालय के अधिकारियों को चाहिए था कि यदि बिना कनेक्शन बिजली का उपयोग हो रहा था तो उसे नियमित करा लेना चाहिए था। लिखित में यह कहना कि नि:शुल्क बिजली का प्रयोग हो रहा था तो वह नियम-सापेक्ष नहीं है।
GIC के कनेक्शन से नहीं है बिजली
बताया तो यही जा रहा है कि GIC को जिस ट्रांसफार्मर के केबिल से बिजली मीटर में दी गई है, उससे केंद्रीय विद्यालय को कनेक्शन न होकर बगल से जा रही LT लाइन से बिजली गई है। इसे काटा गया है। वैध कनेक्शन को बिजली विभाग बकाए की स्थिति में ही काट सकता है।
छोटे दलों से दूर होती भाजपा
पड़ोसी राज्य बिहार में स्व रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा से भाजपा अलग हो गई है। संकेत ऐसे ही लगते हैं कि यूपी में भी वह छोटी पार्टियों से अलग होना चाहती है। भदोही में विधायक विजय मिश्र से दूरी के बाद अपना दल से भी लगभग दूरी ही है। अपनादल सीधे केंद्रीय नेतृत्व से टकराने के बजाय चुप होकर बैठना भी नहीं चाहता। लिहाजा जिलास्तर पर पार्टी को जीवंत बनाने के लिए मुखरता जरूरी भी है। संभव है बिहार चुनाव के बाद दोनों दलों की स्थिति जरूर और साफ हो जाएगी।