कहावत हैं कि “कौन कहता हैं कि आसमां में छेद हो नही सकता एक बार तो हौसले से पत्थर फेकों यारों”। इस कहावत से ही साफ हो जाता हैं कि अगर इच्छा शक्ति हो तो कोई भी काम नामुमकिन नही हैं। इस कहावत को चरित्रार्थ किया हैं प्राईमरी स्कूल के दो अध्यापकों ने। जिन्होने ने अपने काम से न सिर्फ लोगों के सामने एक मिशाल पेश किया हैं बल्कि कई लोगों के प्रेरणाश्रोत भी बन गये हैं। इन अध्यापकों की इच्छा शक्ति से “टीम पहल” की उदगम हुआ। जिससे कि कोरोना जैसे कठीन समय में कोरोना की वजह से मरने वाले कई अध्यापकों के परिवार वालों की मदद हो सकी। आईये टोटल समाचार की टीम आपको सब को उन अध्यापकों से परिचय के साथ साथ उनकी टीम पहले के कार्यशैली के बारे में बतायेगी।
इन फोटो में दिख रहे हैं ये हैं प्राथमिक विद्यालय के अनुराग सिंह और पीयूष चतुर्वेदी। ये वो दो शख्स हैं जिनकी तारीफ इन दिनों पूरे उ्त्तर प्रदेश के प्राथमिक टीचरों के बीच हो रही हैं। हो भी क्यों न इन्होने काम जो ऐसा किया हैं। अनुराग सिंह और पीयुष चतुर्वेदी ने पिछले साल कोरोना से हुए टीचरों की मौत से बहुत आहत थे और तभी से इनके मन में ये चल रहा था कि प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों के लिये कुछ ऐसा किया जाये जो कि एक मील का पत्थर साबित हो। इसी उद्देश्य के साथ अनुराग सिंह और पीयुष चतुर्वेदी ने टीम पहल का गठन किया। आइये हम आप को बताते हैं कि टीम पहल हैं क्या और ये कैसे काम करती हैं।
टीम पहल का उद्देश्य और कार्य प्रणाली
- टीम पहल का गठन 26 जनवरी 2021 अनुराग सिंह और पीयूष चतुर्वेदी द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग मे कार्यरत शिक्षकों के लिए किया गया।
- जिसका एकमात्र उद्देश्य किसी शिक्षक साथी के असमय निधन की स्थिति में उसके परिवार को शिक्षकों के ही सहयोग से समुचित आर्थिक सहयोग करना है।
- इसके लिए एक वेबसाइट का निर्माण कराया गया जो teampahal.com के नाम से कोई भी गूगल पर आसानी से खोज सकता है।
- शिक्षकों को सर्वप्रथम इस वेबसाइट पर जाकर अपना पंजीकरण करना होता है। जिसमें उनकी व्यक्तिगत जानकारी के अतिरिक्त उनके दो नॉमिनी के नाम और एक अतिरिक्त मोबाइल नंबर भरा जाना होता है। इस प्रकार टीम पहल की वेबसाइट पर पंजीकरण के बाद आप टीम पहल के सदस्य हो जाते हैं ।
- पंजीकृत सदस्यों मे से ही उनकी इच्छा और सक्रियता के आधार पर प्रदेशीय टीम हर जिले मे कम से कम 01 और अधिकतम 03 प्रभारी मनोनीत करती है और जिला प्रभारी अपने जिलों के विभिन्न ब्लाकों में ब्लॉक प्रभारी।पंजीकरण के बाद 30 दिन तक सदस्यों को प्रतीक्षा मे रखा जाता है जिससे कि कोई इस व्यवस्था का अनुचित लाभ न ले सके। पंजीकरण के 30 दिन के बाद उस शिक्षक की किसी भी प्रकार से मृत्यु हो जाने (आत्महत्या के अतिरिक्त) पर उस शिक्षक के ब्लॉक और जनपद के प्रभारी जाकर घटना का विवरण ले कर प्रदेशीय टीम को अवगत कराते है।
- जिला टीम द्वारा भेजी गई सूचना और मृतक शिक्षक द्वारा पंजीकरण के समय दी गई सूचना का मिलान कर प्रदेशीय टीम उस शिक्षक के नॉमिनी का अकाउंट नंबर टीम पहल की वेबसाइट और उसके टेलीग्राम ग्रुप पर डालती है। जिसमें एक निश्चित समयावधि मे प्रत्येक सदस्य शिक्षक को उस नॉमिनी के अकाउंट में मात्र 100 रुपये भेजना होता है।अकाउंट में पैसा भेज कर उसकी recipt या पर्ची को वेबसाइट पर अपलोड करना होता है। ताकि सदस्यों के सहयोग का रिकॉर्ड रखा जा सके।
- इस पूरी व्यवस्था को संचालित करने में जो भी खर्च आता है उसे प्रदेशीय टीम स्वयं वहन करती है। सदस्य शिक्षकों से इस के लिए कोई धनराशि नहीं ली जाती अर्थात सामान्य शिक्षकों के लिये यह व्यवस्था पूर्णतः निःशुल्क है ।
- सदस्य शिक्षकों को अपने दिवंगत साथी के नॉमिनी के अकाउंट में 100 रुपये का सहयोग अनिवार्य होता है।
जो शिक्षक सहयोग नहीं करते , उनकी सदस्यता निरस्त कर दी जाती है। - अपने गठन के पांचवे माह में टीम पहल के लगभग 9700 पंजीकृत सदस्य हो चुके हैं।
पारदर्शिता
टीम पहल की सबसे बड़ी खास बात तो ये हैं कि इनका पूरा काम पारदर्शिता के साथ किया जाता हैं। टीम पहल का कोई अपना खाता नही हैं। जब भी किसी अध्यापक की मृत्यु होती है तो मृतक अध्यापक के नामनी के खाते में सीधे टीम पहल के सभी सदस्य 100 रूपये की धनराशी डालते हैं। जिससे कि किसी भी तरह का संन्देह का सवाल ही नही उठता।
मदद राशी
टीम पहले में अब तक कुल 9700 अध्यापकों ने अपना पंजीयन करवाया हैं। जब कि पूरे उत्तर प्रदेश में 5लाख 75 हजार प्राईमरी के अध्यापक कार्यरत हैं। टीम पहल का उद्देश्य हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश के जितने भी अध्यापक हैं वो टीम पहल के साथ जुड़ कर एक दूसरे की मदद करें। टीम पहल के संस्थापक अनुराग सिंह का कहना हैं कि जैसे जैसे हमारी टीम पहल में अध्यापकों की संख्या पढ़ती जायेगी हैं वैसे वैसे हम लोग अपने हर सदस्य से मदद की जाने वाली राशी को भी कम करते रहेगें।
मृतक अध्यापकों के परिवार वालों को मदद
टीम पहले के सह-संस्थापक पीयूष चतुर्वेदी ने बताया कि अब तक हमारी टीम पहल में पूरे प्रदेश से 9700 अध्यापकों का पंजीयन किया जा चुका हैं। जिसमें से कुछ अध्य़ापकों की मृत्यू भी हुई हैं। अब तक कुल 4 मृतक अध्यापकों के परिवार वालों को लगभग 21 लाख रूपये की मदद की जा चुकी हैं। जबकि 5 वें मृतक अध्यापक के परिवार वालों की मदद की प्रकिया चालू हैं।
तहे दिल से शुक्रिया
जहां इस भागदौड भरी जिन्दगी में किसी के पास किसी के लिये समय ही नही बचा हैं। ज्यादातर लोग स्वार्थी हो गये हैं तो ऐसे समाज में अनुराग और पीयूष चतुर्वेदी एक उम्मीद के किरण के रूप में लोगों के सामने आये हैं। ऐसे जज्बे वालें नेक दिल अनुराग सिंह और पीयुष चतुर्वेदी को टोटल समाचर की तरफ से तहे दिये से शुक्रिया और इनके जज्बे और हौसले को सालम।
उम्मीद करते हैं कि जिस उम्मीद की किरण को आप दोनों ने हम सब को दिखाई हैं वो उम्मीद की किरण लोगों के सामने चमचमाती रोशनी की तरह सामने आये।