डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर याद किया गया। उनके साथ कार्य कर चुके अनेक लोगों ने अपने संस्मरण साझा किए। उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक को दशकों तक उनके साथ कार्य करने का अवसर मिला। अटल जी भी उनको बहुत मानते थे। राम नाईक जब कैसर से प्रभावित थे,तब एक दिन बिना पूर्व सूचना के अटल जी उनसे मिलने पहुंच गए थे। अटल जी ने बताया कि उनको कहीं बाहर यात्रा पर जाना था। मुम्बई से दूसरा विमान कुछ घण्टे बाद रवाना होने था,उन्होंने सोचा कि यह समय राम भाऊ के साथ बिताया जाए,यह सोच कर आ गया। अटल जी की यह सहजता प्रभावित करने वाली थी। राम नाईक उनकी सरकार में मंत्री रहे। देश में सर्वाधिक समय तक पेट्रोलिम मंत्री रहने का रिकार्ड उनके नाम हुआ। राम नाईक पर अटल जी का पूरा विश्वास था।


अटल जी की दूसरी पुण्यतिथि पर राम नाईक ने बीडीओ जारी किया। इसमें उन्होंने अटल जी का पुण्य स्मरण किया,अपने कुछ अनुभव साझा किए। वह कहते है कि अटल जी से उनका पहला साक्षात्कार 1953 में हुआ। वह पुणे के संघ शिक्षा वर्ग में आये थे। यहां उन्होंने हिन्दू तन मन,हिन्दू जीवन रग रग हिन्दू मेरा परिचय काव्य सुनाया था।

राम नाईक सहित अनेक लोग उनसे प्रभवित हुए। उनसे प्रेरणा लेकर समाज जीवन में सक्रिय हुए। राम नाईक याद करते है कि एक समय ऐसा था कि जनसंघ से चुनाव जीतने की उम्मीद नहीं रहती थी। पार्टी अपने विचारों के प्रचार हेतु कार्यकर्ताओं को चुनाव में उतरती थी। 1957 में अटल जी मथुरा,लखनऊ व बलरामपुर से लोकसभा चुनाव लड़े थे। मथुरा से उनकी जमानत जब्त हो गई,लखनऊ से जमानत बच गई,जबकि बलराम पुर से विजयी होकर वह लोकसभा पहुंचे थे। देश की सर्वोच्च पंचायत में जब अटल जी का स्वर गूंजता था,तब लोग धैर्य के साथ सुनते थे। वह लोकसभा व राज्यसभा में लंबे समय तक रहे,विपक्ष के नेता रहे,विदेश मंत्री रहे,इसके बाद करीब साढ़े छह वर्ष देश के प्रधानमंत्री रहे। सभी दायित्वों का उन्होंने शानदार तरीके से निर्वाह किया। विदेश मंत्री बने तो भारत की प्रतिष्ठा व राष्ट्रीय हित बढ़ाने का कार्य किया। पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी गूंजी थी। लेकिन जनता पार्टी में समाजवादी खेमे ने व्यवधान किया। जनसंघ घटक से कहा गया कि दोहरी सदस्यता नहीं चलेगी। आप लोग या संघ से नाता तोड़ें या जनता पार्टी छोड़ दें।

अटल जी ने सुंदर जबाब दिया। कहा कि यह दोहरी सदस्यता नहीं है। आप लोगों के साथ तो केवल दो वर्षों से है,जबकि संघ व जनसंघ के बीच तो माँ पुत्र का संबद्ध है। इसे कैसे अलग किया जा सकता है। जनसंघ ने सत्ता छोड़ दी। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी का गठन किया गया। 1980 में इसका पहला अधिवेशन मुंबई में हुआ। तब राम नाईक मुम्बई भाजपा के अध्यक्ष थे। इस रूप में अधिवेशन की व्यवस्था उन्होंने की थी। वह याद करते है कि बीस हजार लोगों को आना था, लेकिन करीब पचपन हजार लोग वहां पहुंचे। लेकिन आत्म अनुशासन के संस्कार के चलते कोई असुविधा नहीं हुई। मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति छागला आये थे। उन्होंने प्रतीक रूप में सुंदर भविष्यवाणी की थी। कहा था कि मैं सामने लघु भारत देख रहा हूँ,और बगल में भावी प्रधानमंत्री को बैठे हुए देख रहा है। बात सही हुई, तब लघु भारत के रूप में पार्टी कार्यकर्ता थे,आज भाजपा देश की सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी है। तब न्यायमूर्ति छागला के बगल में बैठे अटल बिहारी वाजपेयी आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री बने थे। राम नाईक उनकी कार्य शैली का भी उल्लेख करते है। अटल जी सबकी बात ध्यान से सुनने के बाद ही कोई निर्णय लेते थे। राम नाईक पेट्रोलियम मंत्रालय से जुड़ी दो घटनाओं का उल्लेख करते है। तब भारत सत्तर प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। इसके लिए भारी धनराशि का भुगतान करना होता था। राम नाईक ने दो प्रस्ताव किये। पहला यह कि भारत में ही कच्चा तेल तलाशने की योजना बनाई जाए,दूसरा यह कि जहां तेल उत्पादन होता है,उन देशों में निवेश भी किया जाए। कई लोगों को इन दोनों ही बातों पर आशंका थी,अटल जी ने राम भाऊ से पूंछा। राम भाऊ ने बताया कि व्यापक अध्ययन के बाद ही प्रस्ताव बनाया गया गया। अटल जी सहमत हुए। कहा कि बड़े निर्णय तो करने ही पड़ते है। हानि लाभ बाद में देखा जाएगा। फिर रूस में अस्सी हजार करोड़ का निवेश किया गया। यह लाभ का निर्णय साबित हुआ। इसी प्रकार राम नाईक ने कारगिल शहीदों को पेट्रोल पंप व गैस एजेंसी देने का प्रस्ताव किया था। अटल जी इससे बहुत प्रभावित हुए। पहली बार चार सौ अस्सी शहीदों के परिजनों को यह सुविधा प्रदान की गई। राम नाईक कहते है कि अटल जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थी। उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता व राजनीतिक मर्यादा व कुशल नेतृत्व सदैव प्रेरणा देता रहेगा।

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