डॉ दिलीप अग्निहोत्री

सीवी रमन भारत ही नहीं विश्व के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक थे। देश विदेश में उनसे प्रेरणा लेकर विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वालों की कमी नहीं है। उनके विचारों पर शोध की लंबी श्रृंखला है। चिकित्सा क्षेत्र में इन्हें उपयोगी व प्रासंगिक माना गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय नेशनल विज्ञान दिवस के अवसर पर रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के बायोमेडिकल एप्लिकेशन पर एक वेबिनार आयोजित किया।

जहां कावेसी गाकुइन विश्वविद्यालय जापान के प्रो युकीहिरो ओजाकी ने एक शोधपूर्ण व्याख्यान दिया। सहभागी रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी की भूमिका पर उन्होंने तथ्यों के साथ जानकारी दी। वेबिनार में पोलैंड, मालासिया, दक्षिणकोरिया, हंगरी, जापान, ताइवान,नेपल और भारत करीब सवा दो सौ से अधिक शोधकर्ताओं ने भाग लिया। प्रो. पूनम टंडन,अध्यक्षा,भौतिकी विभाग,लखनऊ विश्वविद्यालय ने प्रो युकीहिरो ओजाकी के विषय में जानकारी दी। वह जापान ही नहीं विश्व के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक है।

यह इलेक्ट्रॉनिक और वाइब्रेशनल स्पेक्ट्रोस्कोपी दोनों ही विषयों में दक्षता रखते हैं। उन्हें भारत के विभिन्न संस्थानों के साथ साथ कई अन्य देशों से कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले हैं। प्रो.ओजाकी ने रमन इफेक्ट और सी.वी. रमन के बारे में बताया।उन्होंने बायोमेडिकल साइंस के लिए रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के उपयोग के विषय में विस्तृत चर्चा की कहा कि रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी द्वारा उम्र बढ़ने और मोतियाबिंद के कारण आँख के लेंस में होने वाले परिवर्तनों की जांच की जा सकती है । आणविक जानकारी के माध्यम से अपने प्रारंभिक चरण में कैंसर के ऊतकों के निदान के बारे में बताया। यह कैसे आकारिकी प्रोटीन का पता लगाने,लाइव माउस मॉडल में कैंसर की निगरानी पर निर्भर करता है, इसकी जानकारी देने के साथ ही उन्होंने स्पेक्ट्रोस्कोपी के भविष्य को भी रेखांकित किया।

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