डॉ दिलीप अग्निहोत्री

अंततः राफेल को भारतीय वायु सेना में शामिल करने का सपना साकार हो रहा है। यह लड़ाकू विमान यूपीए सरकार के समय ही भारत को मिल सकता था। लेकिन तब इसके लिए गम्भीरता से प्रयास नहीं किये गए। नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत को सामरिक दृष्टि से मजबूत बनाने का निर्णय लिया था। इसी लिए कांग्रेस के हमलों को बर्दाश्त करते हुए उसने राफेल डील को अंजाम तक पहुंचाया था। कांग्रेस ने इस समझौते को निरर्थक बनाने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया था। लेकिन उसे न्यायपालिका और चुनाव दोनों जगह निराशा हाँथ लगी थी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिछली विजय दशमी को फ्रांस में भारतीय परंपरा के अनुरूप राफेल विमान का पूजन किया था। इस समय पाकिस्तान और चीन की हरकतों के चलते राफेल की प्रासंगिकता बढ़ गई है। इससे आकाश में मारक शक्ति बुलन्द होगी। उनतीस जुलाई को अत्याधुनिक पांच राफेल विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जायेंगे।

पांच विमानों की पहली खेप ने आज उड़ान भरी है। सात हजार किलोमीटर का लंबा सफर तय करने के बाद यह उनतीस जुलाई को भारत में हरियाणा के अंबाला स्थित एयरबेस पहुंचेंगे। दस घंटे की दूरी तय करने के बाद राफेल संयुक्त अरब अमीरात में फ्रांस के एयरबेस अल धफरा एयरबेस पर उतरा। अगले दिन राफेल विमान अम्बाला के लिए उड़ान भरेगा। राफेल भारतीय वायु सेना के सत्रहवें स्क्वाड्रन गोल्डन ऐरो का हिस्सा बनेगा। यह राफेल विमान से सुसज्जित पहला स्क्वाड्रन है। राफेल विमान उड़ाने का प्रशिक्षण लेने वाले भारतीय वायु सेना के पायलट ही विमान उड़ाकर लेकर भारत ला रहे है। फ्रांस से भारत छत्तीस राफेल लड़ाकू विमान खरीद रहा है। फ्रांस स्थित दूतावास ने आज इसकी जानकारी दी। भारत को पहला राफेल गत वर्ष अक्टूबर में सौंपा गया था। इस मौके पर आयोजित समारोह में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल होने आए थे। उस दिन विजयदशमी थी। राजनाथ सिंह ने भारतीय परंपरा का वहां पालन किया था।

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