डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

सरदार बल्लभ भाई पटेल केवल महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी ही नहीं, कुशल प्रशासक भी थी। अंग्रेजों ने सोचा होगा कि भारत इतनी रियासतों का एकीकरण नहीं कर सकेगा। लेकिन सरदार पटेल ने सीमित समय में इस कठिन कार्य को पूरा करके दिखा दिया। यही कारण है कि उनका जन्मदिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरदार पटेल भारत में कृषि,गांव व किसानों का महत्व जानते थे। इसके लिए उन्होंने परतंत्रता काल में ही प्रयास शुरू कर दिए थे। वर्तमान केंद्र सरकार ने इसी भावना के अनुरूप कृषि कानून लागू किये है। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने ऐसे अनेक तथ्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बड़ोदरा की सरदार पटेल प्रतिमा निर्माण में देश के छह लाख से अधिक ग्रामीण और किसानों ने लोहा दान किया था। यह देश के किसानों का सरदार पटेल के प्रति कृतज्ञता का भाव और सम्मान था। 1918 में खेड़ा संघर्ष और 1928 में बारदोली सत्याग्रह के माध्यम से सरदार पटेल ने देश के किसानों के लिये महत्वपूर्ण संघर्ष किया था।

राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में देश के किसानों की उन्नति एवं खुशहाली के लिये तीन कानून बनाये गये हैं। जो उनकी आय को दोगुना करने में भी सहायक होंगे। नये कृषि कानूनों से किसानों को अनेक बंधनों से आजादी मिलेगी। ज्ञात हो कि पटेल प्रतिमा हेतु देश के किसानों से लोहा दान करने का आह्वान नरेंद्र मोदी ने किया था। इस प्रकार उन्होंने प्रकारांतर से देश के किसानों को जोड़ने का भी कार्य किया था। आनंदीबेन पटेल ने भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय द्वारा आयोजित ‘भारतरत्न लौहपुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल’ के जीवन दर्शन,सिद्धान्त एवं उनके योगदान पर आधारित वेबिनार को सम्बोधित किया। कहा कि बड़ोदरा में स्थापित ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ के रूप में सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को देश की एकता और अखण्डता को बनाये रखने की सदैव प्रेरणा देती रहेगी। राज्यपाल ने कहा कि सभी लोगों को सरदार पटेल के विचारों को आत्मसात करना चाहिए। जिससे भारत एक मजबूत एवं आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में आगे बढ़ सके।

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