डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन
आज वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया है और आज के दिन को अक्षय तृतीया के नाम से भी जाना जाता है इसका नाम अक्षय तृतीया इसीलिए रखा गया क्योंकि आज के दिन सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का जन्म हुआ था अब भला ब्रह्मा यह क्यों चाहेंगे कि जिस दिन उनके लड़के का जन्मदिन हो उस दिन चारों तरफ धू धू करके लाशें जल रही हूं लोग ऑक्सीजन के बिना तड़प रहे हैं भला अपने घर कार्यक्रम करके कौन चाहता है कि कुछ भी खराब हो और ब्रह्मा है इसमें कोई विवाद नहीं है ऐसी स्थिति में ब्रह्मा जी इस सृष्टि में आज अपने पुत्र अक्षय के जन्मदिन पर यह आशीर्वाद दुनिया को जरूर देंगे कि अब किसी के घर में रोने की आवाज नहीं आएगी वह बात अलग है कि मृत्यु एक शाश्वत सत्य है लेकिन मृत्यु आज के दिन हारेगी यह भी निश्चित है क्योंकि आज ही तो वह दिन है जब द्वापर की समाप्ति हुई थी महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था तो ऐसे दिन भला ऐसा क्यों नहीं हो सकता है कि आज से करो ना की समाप्ति हो जाए आखिर दिन का असर होता है और इस दिन का असर हो भी क्यों ना आज ही के दिन सतयुग और त्रेता का आरंभ हुआ था और सतयुग में तर्क होता है त्रेता में नैतिकता है मर्यादा है तो भला आज का दिन इस बात की घोषणा करने का क्यों नहीं है।
आज से करोना समाप्त हो जाएगा और समाप्त होगा भी कैसे नहीं 21 बार क्षत्रियों का संहार करने वाले परशुराम जी का जन्म भी तो अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था अब भला परशुराम जी के फरसे से क्या कोरोना को डर नहीं लगता है और रोशन जी मैं तो देवता का अंश था वह अवतार माने गए हैं जब एक अवतारी पुरुष आज के दिन इतिहास की रचना कर सकता है तो उसके जन्मदिन पर को रोना का संघार क्यों नहीं होगा अगर आप विश्वास नहीं कर रहे हैं ऐसी बातों पर इसका मतलब है कि आप अपने धर्म को नहीं मानते आज तक आप जो कर रहे हैं वह ढोंग कर रहे हैं और यह मानते हैं कि यह सब बेकार की बातें हैं पर ऐसा नहीं है आपका अपने धर्म में अटूट विश्वास है और धर्म के लिए आप कट मर सकते हैं आप धर्म को दिल से मानते हैं भावना से मानते हैं और उसी धर्म ने बताया है कि अक्षय तृतीया का क्या महत्व है जब आज के दिन से हर अच्छे कार्य की शुरुआत होती है यहां तक कि आज का दिन तो एक ऐसा दिन है जब किसी तिथि मुहूर्त को देखने की आवश्यकता ही नहीं है कोई भी शुभ कार्य आज के दिन किया जा सकता है आज के दिन सबसे ज्यादा शादियां होती हैं और शादियों में भी शुभ मुहूर्त लग्न कुछ भी देखने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज के दिन किया गया कार्य शुभ होगा ही तो फिर आज के दिन यह कहने या कि आज से को रोना समाप्त होगा भला करो ना क्यों नहीं समाप्त होगा क्योंकि धर्म तो आती है अनंत है सनातन है और उसकी कही गई बातें सिर्फ औपचारिकता नहीं है ऐसे में क्यों नहीं कोरोना को समाप्त हुआ मानेंगे।
अरे आज के दिन ही तो जब महाभारत समाप्त हुआ था तो उससे पहले ना जाने कितना रक्त बात हुआ था लाखों लोग मार दिए गए थे एक से एक धनुर्धर मर गए थे लेकिन अक्षय तृतीया के दिन यह भीषण नरसंहार रुक गया था उस दिन सत्य की स्थापना हो गई थी न्याय की स्थापना हो गई थी नैतिकता की स्थापना हो गई थी तो फिर इतने महत्वपूर्ण दिन को रोना की समाप्ति की बात करना क्यों गलत आपको लग सकता है और आज तो इतना अच्छा दिन है कि आज के दिन ही सूर्य ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया था जिस में कभी भी कोई चीज की कमी नहीं होती है अब ऐसे समय में ऑक्सीजन की कमी दवा की कमी अस्पतालों की कमी सभी का निदान आज के बाद हो जाएगा क्योंकि अक्षय तृतीया के बाद सारा कुछ शुभ होगा और यह कार्य शुभ हो इसीलिए तो लोग आज के दिन सोना भी खरीदते हैं क्योंकि सोना खरीदना सौभाग्य का सूचक है खासतौर से विवाहित महिलाएं तो विशेष रूप से आज सोना खरीदते हैं वह बात अलग है कि बाजारीकरण में इसका प्रचार प्रसार को ज्यादा कर दिया गया है लेकिन जब अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने की शक्ति लेकर आदमी सामने खड़ा है तो वह अपनों को बचाने के लिए आज के दिन के बाद क्यों नहीं अपना सर्वस्व न्योछावर कर देगा और यदि आपको यह किसी भी व्यक्ति को दुनिया के यह लगता है कि या लिखी गई बातें सत्य नहीं है और यह सब नहीं होता है तो सोचना आपको है कि आपका अपने धर्म में कितना विश्वास है और यदि विश्वास है तो मीठी गोली से भी लोग ठीक हो जाते हैं और यह कोई कही सुनी बात नहीं है अमेरिका जैसे देश में प्लेसिबो की अवधारणा प्रसिद्ध है जिसमें मरीजों को वास्तविक दवा के बजाय आभासी दवा दी जाती है और वो ठीक हो जाते है।
जोया बताता है कि विश्वास ज्यादा बड़ी चीज है यदि आपको आज के दिन में विश्वास से है देश के नेतृत्व में विश्वास है उन लोगों में विश्वास है जो कोरोना को मिटाना चाहते हैं तो आज के बाद अक्षय तृतीया का प्रभाव घरों में समाज में राज्य में देश में दिखाई देगा पर शर्त तो यही है कि आपका विश्वास अपने धर्म और धर्म में कही गई बातों पर कितना है क्या अक्षय तृतीया का सच आप मानते हैं दिल से वैसे जो भी बात दिल से मानी जाती है वह सच हो भी जाती है हनुमान जी को सूर्य जलता हुआ गोला के बजाय एक गेंद जैसा दिखाई दिया तो उन्होंने उसको स्वाभाविक रूप से अपने मुंह में रख लिया और इस बात पर तो बहुत ज्यादा लिखा जा चुका है कि यदि व्यक्ति को यह ना पता हो कि उसे सांप ने काटा है तो वह नहीं मरता है बल्कि वह इस डर से मर जाता है कि उसे सांप ने काटा है इस पर भी वैज्ञानिक प्रयोग हो चुके हैं ऐसे ही कोरोना से मरने वाले लोगों में यह भय ज्यादा बैठता जा रहा है कि इसके संक्रमण के बाद मृत्यु हो जाएगी इसीलिए अक्षय तृतीया के तथ्यों पर विश्वास करना जरूरी है कि आज के बाद नए युग की शुरुआत होगी नए दिन की शुरुआत होगी परशुराम अक्षय आदि के जन्म की तरह ही एक नए समय का जन्म होगा जिसमें फिर से शांति होगी सुख होगा समृद्धि होगी वैसे क्या आप अपने धर्म के तथ्यों उनकी कही बातों और अक्षय तृतीया के ऊपर विश्वास करते हैं मुझे आप बताएं या ना बताएं या आने वाला समय निर्धारित कर देगा या क्षेत्र किया एक नए युग का निर्माण करता है इस बात को आप ने कितना माना और यह मानना और जांच ना बहुत आसान है यदि आप आज के दिन पर विश्वास करके कोरोना की लड़ाई में अपने को सुरक्षित रखने गए तो निश्चित रूप से आपके जीवन में आपके परिवार के जीवन में आपके देश के जीवन में एक नए युग की शुरुआत होगी जो अक्षय तृतीया को वास्तविक रूप से प्रतिबिंबित करेगा (क्या विश्वास करने की ताकत आप में है या सिर्फ ढोंग और दिखावा करना ही आप धर्म मानते हैं देखते हैं आपका विश्वास कितना गहरा है क्या आप में हिम्मत है विश्वास के प्रतिस्पर्धा को स्वीकार करने की