डॉ दिलीप अग्निहोत्री
आत्मनिर्भर भारत अभियान की रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। केंद्र सरकार ने इसके दृष्टिगत अनेक प्रभावी कदम उठाए है। इनका उद्देश्य भारत को सामरिक रूप में आत्मनिर्भर बनाने तक ही सीमित नहीं है। बल्कि इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए बड़े निर्यातक के रूप में प्रतिष्ठित करना है। इस कार्ययोजना के सकारात्मक परिणाम भी दिखाई दे रहे है। भारत चालीस से अधिक देशों को रक्षा सामग्री निर्यात करने लगा है। बेंगलुरु में हुए एशिया के सबसे बड़े एयरो शो एयरोइंडिया में आत्मनिर्भर फॉर्मेशन फ्लाईट ने हमारी प्रगति का प्रमाण दिया।
हाईब्रीड मोड प्रदर्शनी
इस एयरो शो में भारत ने अपने स्वदेशी हथियार फाइटर जेट्स और मिसाइलों की प्रर्दशनी लगाई। इसके प्रति दुनिया के अनेक देशों की दिलचस्पी देखने को मिली। अनेक देशों की बड़ी एयरो स्पेस कंपनियां भी भारत के साथ मिलकर भारत में ही अपने हथियारों का उत्पादन करने के लिए तैयार है। यह सहयोग आगे बढ़ेगा। इसमें देश विदेश की कुल छह सौ कंपनियां शामिल हुई। दो सौ से अधिक कंपनियां वर्चुयली हथियारों व अन्य रक्षा सामग्री के प्रदर्शन में शामिल हुई। इसे हाईब्रीड मोड प्रदर्शनी का नाम दिया गया था।
आकाश तक आत्मनिर्भरता
रक्षामन्त्री राजनाथ सिंह ने इस समारोह का शुभारंभ किया था। इसमें स्वदेशी एयरक्राफ्ट्स का प्रदर्शन बेहद आकर्षक रहा।हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड की तरफ से इस बार स्वदेशी एयरक्राफ्ट्स और हेलीकॉप्टर्स ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। आत्मनिर्भर फ्लाइट फॉर्मेशन के तहत एलसीएट्रेनर लिफ्टट्रेनर,एचटीटी40 आईजेटी, एडवांस हॉक एमके-132 और सिविल डोरनियर डो-228 के ट्रेनर एयरक्राफ्ट्स एक खास फॉरमेशन में उड़ान भरी। स्वदेशी लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट एलसीए तेजस,लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर एलसीएच एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर-ध्रुव, लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर एलयूएच भी शामिल रहे। रूस की मदद से भारत में ही तैयार किए जा रहे सुखोई लड़ाकू विमान प्रदर्शित हुए। स्वदेशी स्टेटिक डिस्पिले में डोरनियर,एचटीटी हिंदुस्तान ट्रर्बो ट्रेनर-40, एलसीएच,रूद्र अटैक हेलीकॉप्टर,एलयूएच और एएलएच-मार्क 3 की भी विशेषज्ञों ने खूब सराहना की। कॉम्बेट एयर टीमिंग सिस्टम कैट्स सिम्युलेटर भी एचएएल की तरफ से इस प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण रहे। इस सिम्युलेटर से स्वार्म ड्रोन तकनीक भी दिखाई गई। भारतीय वायुसेना में तिरासी तेजस विमानों को शामिल करने का निर्णय स्वदेशी रूप से विकसित प्रणालियों बम,सोनार रडार,संचार प्रणाली,आयुध आदि की सफलताएं देश की आत्मनिर्भरता में डीआरडीओ की भूमिका को दर्शाती हैं। गत वर्ष डीआरडीओ ने उद्योग के साथ सवा दो सौ लाइसेंस समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।
रक्षा मंत्री का सीधा सन्देश
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मजबूत भारत के संकल्प को दोहराया। उन्होंने पाकिस्तान और चीन सीधा सन्देश दिया। कहा कि भारत कई मोर्चों पर खतरों और चुनौतियों का सामना कर रहा है। वह एक देश द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का शिकार है,जो अब एक वैश्विक खतरा बन गया है। भारत ने अपनी सीमाओं पर यथास्थिति बदलने के दुर्भाग्यपूर्ण प्रयासों को देखा है। देश हर कीमत पर अपने लोगों और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने और उसे हराने के लिए सतर्क और तैयार है।
अति आधुनिक आत्मनिर्भर तकनीक
भारत ने साबित किया कि वह स्वदेशी क्षमताओं के निर्माण की अति आधुनिक अगली पीढ़ी की तैयारी कर रहा है। भारतीय कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही है। भारत ने विभिन्न प्रकार के मिसाइल सिस्टम,लाइट कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट,हेलिकॉप्टर, मल्टी पर्पस लाइट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, वॉरशिप और पैट्रोल वेसल,आर्टिलरी गन सिस्टम,टैंक,रडार, मिलिट्री व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम,क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस,एस्ट्रा मिसाइल, अर्जुन टैंक,तोपखाने सहित सैकड़ों स्वदेश निर्मित रक्षा हथियारों के निर्यात को मंजूरी देकर पूरी दुनिया को रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता का सन्देश दिया है। अमेरिकी परियोजना स्काईबॉर्ग की तर्ज पर एचएएल ने मानव रहित विमानों की तकनीक का प्रदर्शन भारत की बड़ी उपलब्धि है। 2023 तक मार्क-2 पहली उड़ान भरेगा और 2025 तक इसका बड़े स्तर पर उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। भारत ने पांचवीं जनरेशन के लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता दिखाकर अपने स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर जेट की डिजाइन और मॉडल दुनिया के सामने पेश किया। इसे एडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट एमका नाम दिया गया। इसके बाद भारत अब अमेरिका, रूस और चीन सहित उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा। आने वाले दिनों में लड़ाकू विमान और ड्रोन मिलकर ‘मॉर्डन वारफेयर’ में दुश्मन पर हमला कर सकेंगे। राफेल,तेजस,सुखोई, जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों में तीन तरह की ड्रोन प्रणाली लगाई जा सकेगी और पायलट दुश्मन के इलाके में घुसे बिना मानव रहित ड्रोन्स से हमला करके खुद को और अपने जेट्स को सुरक्षित रख सकेंगे। लद्दाख की वादियों में उड़ान भरकर भारतीय वायुसेना और सेना के परीक्षण में खरे उतरे एचएएल के लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर एलयूएच के सेना संस्करण को प्रारंभिक ऑपरेशन क्लीयरेंस आईओसी प्रमाण पत्र सौंपा गया। एचएएल ने इस विमान का आईओसी संस्करण सेना को सौंप दिया है। एचएएल ने अगले दो साल विमानों का उत्पादन शुरू करेगा।