डॉ दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में ही कौशल विकास अभियान शुरू किया था। यह देश की जमीनी सच्चाई पर आधारित था। इसमें कोई संदेह नहीं कि नौकरियों की एक सीमा है। सभी युवाओं को नौकरी देना किसी भी सरकार के लिए असंभव है। ऐसे में जीवकोपार्जन के लिए स्वरोजगार बेहतर विकल्प है। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के युवा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप भी कौशल विकास का प्रशिक्षण ले सकते है। इसी क्रम में मोदी सरकार ने मुद्रा बैंक योजना भी लागू की थी। इसके अलावा भी सरकार की अनेक योजनाएं है। जिनसे सहायता लेकर युवा स्वरोजगार शुरू कर सकते है। विश्व युवा कौशल दिवस के मौके पर उन्होंने देश को संबोधित किया। कौशल विकास को उपयोगी और प्रासंगिक बताया।कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है।

ऐसे में स्किल,रिस्किल और अपस्किल ही प्रासंगिक रहने के मंत्र हैं। इस मंत्र को जानना,समझना और इसका पालन करना अहम है। स्किल की ताकत इंसान को बुलन्दी पर पहुंचा सकती है। यही हुनर देश को आत्मनिर्भर बनाने में ताकत की तरह सहयोग करेगा। देश में श्रमिकों की स्किल मैपिंग का एक पोर्टल भी शुरू किया गया है। यह पोर्टल कुशल लोगों व कुशल श्रमिकों की मैपिंग करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इससे एक क्लिक में ही स्किल्ड मैप वाले वर्कर्स तक एंप्लायर्स पहुंच सकेंगे।स्वास्थ सहित अनेक सेक्टरों में लाखों कुशल लोगों की जरूरत है। स्वास्थ्य सेवाओं में बहुत बड़ी संभावनाएं बन रही हैं। इसके लिए देशभर में सैकड़ों प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र खोले गए। पांच करोड़ से ज्यादा लोगों का स्किल डेवलपमेंट किया जा चुका है। कोरोना के इस संकट ने वर्क कल्चर के साथ जॉब की प्रकृति को भी बदल दिया है। स्किल के प्रति आकर्षण जीने की ताकत,उत्साह प्रदान करता है।

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