सेक्स है क्या?
बदलते समय के साथ आज ना सिर्फ इंसानी रिश्ते बदल रहे हैं। बल्कि यौन संबंध को लेकर लोगों का बर्ताव और रिश्तों के प्रति सोच भी बदल रही है। 2015 में अमरीका की सैन डियागो यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर जीन एम ट्वींग ने एक रिसर्च पेपर में कहा था कि 1970 से 2010 तक अमरीका में बहुत हद तक लोगों ने बिना शादी के सेक्शुअल रिलेशनशिप को स्वीकार करना शुरू कर दिया था। नई पीढ़ी का मानना है कि सेक्शुएलिटी समाज की बंदिशों में नहीं बंधी होनी चाहिए। रिसर्चर ट्वींग के मुताबिक सेक्शुअल नैतिकता समय की पाबंद नहीं है। उसमें बदलाव होते रहे हैं, हो रहे हैं और आगे भी जारी रहेंगे। अब तो ये बदलाव इतनी तेजी से हो रहे हैं कि शायद हम ये बदलाव स्वीकार करने के लिए तैयार भी नहीं हैं।
जिस्मानी रिश्ते केवल मर्द और औरत के बीच नहीं बनते। बल्कि लेस्बियन और गे रिलेशनशिप को भी कई देशों ने मान्यता देनी शुरू कर दी है। ये कोई मानसिक या शारीरिक विकृति भी नहीं है। हालांकि धार्मिक और सामाजिक दोनों ही रूप से इसे अनैतिक व्यवहार माना जाता रहा है। धर्म तो कहता है कि समान लिंग वाले जानवर तक आपस में संबंध नहीं बनाते। क्योंकि वो जानते हैं कि ये अनैतिक है। जबकि साइंस कहती है कि जापानी मकाक, फल मक्खियां, फ्लोर फ्लाइज, अल्बाट्रॉस पक्षी और बोटल नोज डॉल्फिन समेत ऐसी करीब 500 प्रजातियां हैं, जिनके बीच होमोसेक्शुएलिटी होती है। लेकिन हम इन्हें, लेस्बियन, गे या हेट्रोसेक्सुअल जैसे नाम नहीं देते।
आखिर इन सबके बीच लाइन खींची किसने? शायद उन लोगों ने जिन्होंने सेक्स को सिर्फ बच्चे पैदा करने की जरूरत समझा। अगर ‘सेक्स क्यों’? के जुमले से सवालिया निशान हटा लिया जाए तो शायद लोग इसका बेहतर मतलब समझ पाएंगे। सेक्स की ख्वाहिश कुदरती प्रक्रिया है। जैसे-जैसे यौन सबंध के प्रति लोगों की सोच बदल रही है, वैसे-वैसे लोगों ने गे और लेस्बियन रिश्तों को भी स्वीकार करना शुरू कर दिया है। हाल ही में 141 देशों में की गई रिसर्च ये बताती है कि 1981 से 2014 तक एलजीबीटी समुदाय को स्वीकार करने की दर में करीब 57 फीसद इजाफा हुआ है। इसमें मीडिया, मेडिकल सपोर्ट और मनोवैज्ञानिक संस्थाओं के सकारात्मक साथ ने बहुत अहम रोल निभाया है। इसके अलावा आज पोर्न देखने का चलन जितना बढ़ चका है, उससे साफ जाहिर है कि लोगों में सेक्स की भूख कितनी ज्यादा है। पोर्न देखने से कुछ मिले या ना मिले, लेकिन सेक्स की ख्वाहिश बहुत हद तक शांत हो जाती है।