सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.

मिर्जापुर । इए मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई अपनी कमियों के बावजूद दूसरों की कमी निकालता है और कीचड़ फेंकता है।

मंडलीय अस्पताल के कतिपय डॉक्टरों पर लागू

यहां अस्पताल में कतिपय डॉक्टर ऐसे ही हैं, जो खुद नेतागिरी करते हैं तथा खुद निर्धारित ड्यूटी की तिलांजलि देते हैं पर दूसरों पर नियम-विरुद्ध काम करने का लांछन लगाते हैं ।

डॉक्टर को करना पड़ता है पोस्टमार्टम भी तो इमरजेंसी ड्यूटी भी

मुख्यालय पर तैनात सरकारी डॉक्टरों को पोस्टमार्टम ड्यूटी के साथ इमरजेंसी ड्यूटी करनी पड़ती हैं । जबकि कोरोना को लेकर विवादों को जन्म देने वाले ऐसे डॉक्टरों ने विगत 4 सालों में यदि इन ड्यूटियों को नजरअंदाज किया और इससे बचते रहे तो उनको भी स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने किसे पैसा दिया और ड्यूटी कटवाई ?

एसोसिएशन का चुनाव भी मुद्दा बना है।

डॉक्टरों के एसोसिएशन का विधिक ढंग से चुनाव कई वर्षों से नहीं हुआ है। अध्यक्ष का ट्रांसफर हो गया है और वे गैर जिले चले गए है। ऐसी स्थिति में वाईलाज के अनुसार बैठक कर नया चुनाव होना चाहिए ।

स्पेशलाइजेशन सर्टिफिकेट जांच के दायरे में

कतिपय डॉक्टरों के पास इस तरह के जो सर्टिफिकेट हैं, उस पर उंगलियां पहले भी उठ चुकी हैं । उसकी अब विधिवत जांच होनी चाहिए।

जिनके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते

दूसरों पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबां में झांकते है बुद्धिमान लोग। पिछले 100 सालों में ऐसे समय, जब सामाजिक, सरकारी, आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है, के दौरान जातीय संकीर्णता के चलते अपनी ही प्रशासनिक व्यवस्था पर आरोप लगाकर सिर्फ ड्यूटी कटवाना बीच मझधार में हिसाब करने के समान है।

कोरोना मामले में पूर्वांचल के बेहतर जिलों में मिर्जापुर

कोरोना-नियंत्रण में जिले की स्थिति सबसे बेहतर है। मृत्यु पर नियंत्रण एवं स्वस्थ होने की गति अच्छी है। यह सिर्फ भाषण से नहीं हुआ है। इसके लिए प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य एवं अन्य विभागों की कड़ी मेहनत रही है।

प्रशासन से जांच की मांग

कोरोना काल के पीक-आवर में इस तरह का अलाप करने वालों की भी जांच की मांग जिला प्रशासन से लोगों ने की है।

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