डॉ ध्रुव कुमार त्रिपाठी, एडिटर इन चीफ, टोटल समाचार.
नमस्कार आप सभी से बात किए हुए बहुत दिन बीत चुके हैं। यह बाद पिछले वर्ष मार्च 2020 की थी जब हम एक बड़े संकट से गुजर रहे थे। हम लोगों ने बड़े शिद्दत के साथ सरकार के कर्मचारी नेता प्रधानमंत्री सहित सभी लोग मनोयोग से इस करोना की महामारी से लड़ने का मन बनाया था और लड़े भी बड़े मजबूती के साथ। तमाम आलोचनाओं अपेक्षाओं आरोपों प्रत्यारोपण की झड़ी लगा दी गई लेकिन प्रधानमंत्री ने अपना निर्णय नहीं बदला लोगों ने इस दृढ़ निश्चय की बहुत सराहना की। पूरे विश्व में भारत के प्रधानमंत्री की तारीफ हुई लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की 2021 के इस संकट के दौर में जब पूरे भारतवर्ष के हर जिम्मेदार को यह पता था कि सेकंड वेब की एक बड़ी लहर आने वाली है और यह लहर पहले वाली से बहुत ही जबरदस्त होगी क्योंकि हमारे पास अनुभव था। पूरा यूरोप एक तरह से लाख डाउन हो गया था। पिछले सितंबर अक्टूबर नवंबर में फुल लॉक डाउन करके यूरोप ने पूरे विश्व को आगाह कर दिया था कि सेकंड वेब बहुत ही तीव्र और घातक होगा और हम तो विश्व गुरु थे। हम समझ नहीं पाए यह हमारी गलती थी। हमने उसको नजरअंदाज किया और इसकीपूरी जिम्मेदारी भारत के प्रधानमंत्री को लेनी पड़ेगी क्योंकि वही मेरा मुखिया है। उसी के नक्शे कदम पर हम चलते हैं हम उन्हीं के निर्णय पर इतराते है तो आज जब गलती हो गई है तो जिम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए। इसमें कोई गलत बात नहीं कई बार ऐसे निर्णय हो जाते हैं जो जानबूझकर नहीं लिए जाते हैं। उसके पीछे कोई खराब मनसा नहीं होती है कोई देश का प्रधानमंत्री अपने लोगों को मरने के लिए नही छोड़ सकता । इस गलती के बाद पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश बंगाल में चुनाव असम अन्य राज्यों में जो चुनाव हुए यह बड़े घातक थे. हम राज्यों की सीमाओं में देश की जनता को नहीं बॉट सकते । यह कहना कि अमुक राज्य में चुनाव नहीं था प्रमुख राज्य में चुनाव था यह आरोप-प्रत्यारोप नितांत गलत है। सभी मरने वाला व्यक्ति देश का नागरिक है और उसे जीवन जीने का हक भी है। यह बात सही है कि यह निर्णय लेना था। निर्वाचन चुनाव आयुक्त को इस बात का निर्णय शक्ति से लेना चाहिए था। चुनाव आयोग ने बेहद घृणित काम किया है। इस देश में चुनाव आयोग के सभी अधिकारियों को साल भर की जेल जरूर होनी चाहिए इसलिए क्योंकि आगे यह सबक जरूर रहे। सरकारों के दबाव में आप कोई निर्णय नहीं लेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो देश के संवैधानिक संस्थाओं की जवाबदेही और जिम्मेदारी दोनों शक के कटघरे में हमेशा रहेगी चुनाव आयोग का सबसे बड़ा मुखिया जब लालच की बुनियाद पर बैठा होगा तो वह अपने विवेक से कोई निर्णय नहीं ले सकता और 2021 की हृदय विदारक घटना में चुनाव आयुक्त दोषी पाया जाता है। दिखाई पड़ता है न्यायालय कहे ना कहे भारत का एक नागरिक कह रहा है कि चुनाव आयोग दोषी है और भारत के नागरिक से बड़ा कोई न्यायालय नहीं है। लोकतंत्र में न्याय की संस्थाएं भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं ।
उत्तर प्रदेश की तरफ एक नजर डालते हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी समझते है की शक्ति और ताकत के किसी भी काम को हम करवा सकते हैं शायद माननीय मुख्यमंत्री जी गलत है। जब आप उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुए थे तो आपने प्लास्टिक को बैन किया था आज तक प्लास्टिक बैन नहीं हुए आपने मिलावट और जमाखोरी पर बड़ा हमला किया था। क्या आज मिलावट नहीं होती है क्या जमाखोरी नहीं हो रही है। शायद आपको आंकड़े गलत दिए जाते हैं आज भी जमाखोरी होती है मिलावट बदस्तूर जारी है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आपने काम नहीं किया आप मे जिम्मेदारी का एहसास है उर्जा है आप में शक्ति है लेकिन जो लोग आपके साथ काम कर रहे हैं उनकी मानसिकता को बदलना बहुत मुश्किल काम है और यही पर हमला करने की जरूरत है । लालच का व्यापार, घृणा का व्यापार, बड़ा ही गलत होता है। संस्थाओं को ठीक से काम करने के लिए पैनी नजर रखनी पड़ती है। प्रशासनिक अधिकारी सरकार के नुमाइंदे पैरामेडिकल स्टाफ हॉस्पिटल लालच की बुनियाद पर इतने गिर चुके होंगे। इस बात का अंदाजा मुख्यमंत्री जी को नहीं था और हम फिर कहते हैं बड़े शक्ति के साथ अगर आप इनसे नहीं लड़ेंगे। तो इनके मंसूबे प्रदेश की जनता को लूटने के हैं। और उत्तर प्रदेश में वही हुआ लिम्सी पेरासिटामोल छोटी सी छोटी दवाओं की जबरदस्त कालाबाजारी हुई। लोग एक पत्ते दवा के लिए तरसते रहे और प्रशासन लाचार और बेबस खड़ा रहा सब देखता रहा। गैस सिलेंडर लोग अपने कंधों पर लेकर दौड़ते रहे और हमारा पूरा शासन-प्रशासन लाचारी में खड़ा रहा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हम लोगों ने कभी भी पारदर्शी तरीके से संस्थाओं को संचालित करने का प्रयास नहीं किए कोई व्यक्ति बीमार होता है। वह अपना आधार कार्ड से रजिस्ट्रेशन करा लें और उसे एक बेड अलाट हो जाए लखनऊ के किसी भी हॉस्पिटल किसी भी स्थान पर यदि उसे मिल जाय जैसे रेलवे रिजर्वेशन में होता है। ऐसा क्यों नहीं सिस्टम पहले से बनाया गया इसलिए नहीं बनाया गया क्योंकि लोगों को लूटने का अवसर नहीं मिलेगा अभी समय है। तमाम पार्टी विचारधाराओं से ऊपर उठकर सभी व्यक्ति को सभी धर्म संप्रदाय के लोगों को मिलकर इस महामारी से लड़ने की जरूरत है। किसी पर आरोप लगाना बड़ा आसान होता है लेकिन जब स्वयं व्यवस्था में हो तो आपको उस व्यवस्था की कमियां दिखाई नहीं पड़ती। आप उस कमियों को ढकने का प्रयास करते हैं हमें उस कमियों को उजागर करना चाहिए यह बात सही है कि संस्थाएं किसी ने बनाई हो लेकिन उसका लाभ पीढ़ियों तक लोगों को मिलता है। हमने फेसबुक पर एक पोस्ट देखी मुझे बड़ा कष्ट हुआ जिसमें लिखा था प्रधानमंत्री ने 14 ऐम्स मोदी जी जवाहरलाल नेहरू ने एक एम्स का निर्माण किया अटल बिहारी वाजपेई ने 6एम्स इसका निर्माण किया। इस प्रकार के घटिया सोच के लोगों को तिरस्कृत करना चाहिए। एम्स किसी ने बनाई हो है तो देश का है देश के लिए है।
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जय हिन्द…..