भूमिका, संवाददात, गुजरात
गुजरात। बीते पिछले कुछ महिनों पर आग की घटनाओं के आकंड़ों पर अगर आप नजर डाले तो एस सवाल सामने आता हैं। सवाल भी ऐसा जो कि आपको सोचने पर मजबूर कर दे। पिछले कई महिनों में कोविड अस्पतालों में आग लगने की कई घटनायें सामने आई हैं। ये घटनायें भी इतनी गंभीर की इन घटनाओं में जिन्दा मरिज जल कर खाक हो गये। अहमदाबाद, राजकोट, वड़ोदरा, जामनगर जैसे कई शहरों में इस तरह की घटनायें सामने आई हैं। लाजमी हैं कि सवाल तो उठेगें ही कि आखिर कोविड अस्पताल में ही लगातार क्यों आग की घटनायें हो रही हैं? आखिर क्य़ा हैं इस तरह की आग की घटनाओं की पीछे का राज?…टोटल समाचर की टीम ने इस आग के राज को जानने की कोशिश की हैं।
ग्राफिक्स इन
- 6 अगस्त को अहमदाबाद के श्रेय कोविड अस्पताल में आग , 12 की मौत
- 13 अगस्त को बोडेली की कोविड़ अस्पताल में आग
- 25 अगस्त को जामनगर की जी जी कोविड अस्पताल में आग
- 9 सितम्बर वड़ोदरा के एसएसजी कोविड अस्पताल में आग
- 18 नवम्बर , सूरत के ट्राई स्टार कोविड अस्पताल में आग
- 28 नवम्बर , राजकोट के उदय शिवानंद कोविड अस्पताल में आग , 6 की मौत
ग्राफिक्स आउट
अगस्त से नवम्बर तक आग ही आग और वो भी सिर्फ कोविड अस्पताल में आग। 18 लोगो की मौत ,आखिर क्या है ये हैं इसका राज। आखिर क्यों कोविड अस्पताल ही आगजनी का हो रहे हैं शिकार। ये सवाल ज़हन में आना लाजमी है। हालांकि इन तमाम अस्पतालों में लगी आग पर जांच जारी है। श्रेय अस्पताल की घटना को बीते 4 महीने हो गए लेकिन अभी तक कोई भी जांच रिपोर्ट दाखिल नहीं हुई है और बाकी घटनाओ में भी अभी जांच जारी है। लेकिन प्राथमिक जानकारी के मुताबिक ज्यादातर आग स्पार्क या शार्ट सर्किट से लगी है। कई मामलों में सीसीटीवी भी सामने आये जिसमे साफ़ देखा जा सकता है कैसे अचानक स्पार्क से उठी चिंगारी पुरे आईसीयू में बड़ी आग का स्वरुप लेकर पुरे अस्पताल को अपनी चपेट में ले लेती है। आखिरकार क्यों होता है ये शार्ट सर्किट?
फायर सेफ्टी एंड टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट की राय
आगजनी के कारणों की तलाश करते करते हमारा संपर्क हुआ के सी मोटवानी से जो कॉलेज ऑफ़ फायर सेफ्टी एंड टेक्नोलॉजी के प्रिंसिपल है। के सी मोटवानी से जो हमें जानकारी मिली वो चौकाने वाली थी। मोटवानी ने इन सब पूरे मामले पर गहन अध्यन भी किया हैं। उनका साफ कहना हैं कि कोरोना को लेकर सरकारें पहले से तो तैयार थी नही। आनन फानन में कोरोना के चलते सामान्य अस्पतालों को कोविड़ आस्पतालों में तब्दील कर तो दिया। लेकिन आईसीयू , ऑक्सीजन ,बेड वेंटीलेटर और डॉ के अलावा कई छोटी छोटी बारीकियों पर ध्यान ही नहीं दिया गया।
लापरवाही एक बड़ी वजह
कोविड अस्पतालों में हुई इन आगजनी की घटनाओ ने कई जाने ले ली है लेकिन उसके बावजूद अभी भी कोई खास जागरूकता प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन में आई हो ऐसा कुछ नज़र नहीं आ रहा है। बातचीत के दौरान हमें पता चला की कन्वर्ट किये गए इन कोविड अस्पतालों में बहुत सारी चीजे तय मनकों के मुताबिक नहीं थी। जैसे सबसे महत्वपूर्ण है वायरिंग। जिसकी गुणवत्ता पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया जाता। इसके अलावा स्विच बोर्ड , प्लग्स , पावर लोड एंट्री एग्जिट जैसे कई पहलु है। जिस पर ध्यान दिए बिना आईसीयू चल रहे है और इन आईसीयू में दर्जनों के हिसाब से भर्ती कोविड पेशेंट वेंटीलेटर पर है। जो दिन रात २४ घंटे चल रहे है ।
कोविड अस्पतालों में हो रही आगजनी की घटनाये शहर के फायर डिपार्टमेंट के काम करने के तरीके पर भी सवाल खड़े करते है। लिहाजा हमने शहर के फायर विभाग से सम्पर्क किया। जहां पर फायर एनओसी लेने के लिए नियमो में लम्बी फेहरिश्त गिना दी। लेकिन जब ये पूछा गया कि क्या ये सारे नियमों का पालन होने के बाद ही एनओसी दिया गया है। तो उनका जवाब भी गोलमोल ही रहा।
हांलाकि दमकल अधिकारी ने ये बात कबूल की के शहर के ज्यादातर कोविड अस्पताल में दवा डाक्टर वेंटीलेटर और आसीयू सहित मरीजों को जो सुविधा चाहिए। उसकी व्यस्था तो है। लेकिन इमरजेन्सी का कोई प्लान नहीं है। न ही इसके प्रति जागरूकता है। अधिकारी ने साफ़ तौर पर कहा की ये तमाम संस्थाए अधिकारियों के लिए पेपर वर्क और व्यस्थाएं करती है ताकि उन्हें संचालन की इज़ाज़त मिल जाए लेकिन उनकी ये प्राथमिकता कतई नहीं होती की किसी अनहोनी आपातकालीन स्थिति से निपटने में वो सचमुच सक्षम हो और किसी भी प्रकार की जानहानि न होने पाए।
आग की घटनाओं पर सामने आई कुछ जानकारीयां
- ज्यादातर आग शार्ट सर्किट से ही लगी है और इसका कारण हलकी गुणवत्ता की वायरिंग या फिर उनका नियमित देखरेख का आभाव था
- आईसीयू वार्ड में लगे स्विच बोर्ड प्लग्स वायर्स का नियमित रख रखाव नहीं किया गया था ।
- बिजली आपूर्ति में अतरिक्त लोड के लिए कोई वैकलपिक व्यस्था नहीं थी।
- सामान्य अस्पतालों में से बने कोविड अस्पताल में आईसीयू में इलाज के दौरान लगातार चल रहे वेंटीलेटर भी एक बड़ी वजह ।
- आईसीयू में कई ऐसे कॉम्पोनेन्ट जो आग को फैलने में मददगार साबित हुए।
- एंट्री और एग्जिट तय मनकों के मुताबिक नहीं थे।
- अस्पताल के नर्सिंग व अन्य स्टाफ में फायर इक्विपमेंट के इस्तेमाल की जानकारी का आभाव था।
- किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए होने वाली मॉक ड्रिल नहीं हुई।