डॉ दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट में भी अवसर की ओर इशारा किया था। वस्तुतः कठिनाई में इस प्रकार का सकारात्मक चिन्तन भी मनोबल बढ़ाने में सहायक होता है। लॉक डाउन के समय का भी बेहतर उपयोग किया जा सकता है। यह भी कठिनाई में एक अवसर की भांति है।

लखनऊ विश्वविद्यालय की बेबीनार में भी इसी प्रकार के विचार रेखांकित किये गए। इसमें बताया गया कि लॉक डाउन में अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकले ग्रोथ जोन की संभावनाओं को साकार करना चाहिए।

लखनऊ विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय के ट्रेनिंग ऐंड प्लेसमेंट सेल के अंतर्गत आयोजित कॅरियर परामर्श सत्र में विद्यर्थियो का उत्साह वर्धन किया गया। कहा गया सकारात्मक चिंतन से अपने कॅरियर को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा सकता हैं।

 

इस संदर्भ में कॉर्पोरेट ट्रेनर और स्किल रि इंजीनियर अमित सिन्हा ने कई टिप्स दिए। उन्होने बताया कि कोविड नाइन्टीन के कारण जॉब मार्केट में होने वाले बदलाव के अनुरूप ख़ुद को तैयार करने का ये सर्वोत्तम समय है। कुछ इंडस्ट्रीज़ में ग्राहकों की मांग गिरने से जॉब की संभावनाएं कम हो सकती है। इनमें पर्यटन, टूर एंड ट्रैवल,होटल,ऑटोमोबाइल,कार,बाइक रियलइस्टेट फाइनेंशियल सर्विसेस शामिल है। दूसरी तरफ ई कामर्स, आई.टी इंडस्ट्री, हेल्थकेयर,रीटेल, मेडिकल सेर्विसेस आदि में व्यवसाय बढ़ने की संभावना है। इस कारण अधिकतर जॉब इन्ही इंडस्ट्री में मिलेंगी।

छात्र जॉब मार्केट के संदर्भ में विभिन्न सूत्रों से आती हुयी निराशाजनक खबरों से हताश ना हों। बल्कि आत्मविश्वास बनाये रखे। स्वयं को सक्षम बनाने का प्रयास करें। लॉकडाउन का सदुपयोग कर मनचाही इंडस्ट्री में मनचाहा जॉब पा सकते हैं।

छात्र इस लॉक डाउन के दौरान अपने प्रोफेशनल स्किल्स, प्रोफेशनल इमेज,टाइम मैनेजमेंट और इमोश्नल कोशन्ट को बेहतर कर न सिर्फ पहली जॉब पा सकते अपितु अपने पहले प्रमोशन को भी शीघ्र प्राप्त कर सकते हैं।

उन्होने उदाहरण के साथ समझाया कि कैसे विश्व की अग्रणी कंपनिया सदैव कुछ नया करने में प्रयासरत रहती है ताकि मार्केट में उनकी उपयोगिता बनी रहे। इसी प्रकार छात्रों को अपने यूएसपी अर्थात यूनीक सेलिंग प्रोपोज़िशन पर काम करना होगा। यह लॉक डाउन का समय अपने यूनीक सेलिंग प्रोपोज़िशन को बढ़ाने हेतु अपने ‘कम्फर्ट ज़ोन’ से बाहर निकल कर, अपने ‘फियर ज़ोन’ से आगे जाकर ‘ग्रोथ जोन’ की संभावनाओं को साकार करने का है।

सेल के संयोजक डॉ हिमांशु पांडेय ने कहा कि छात्र अभी से अपनी इंडस्ट्री का चुनाव कर उसके संदर्भ में अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करें और खुद को अन्य प्रतिभागियों से बेहतर बनाने हेतु स्वयं में आवश्यक गुणो को और बढ़ाएँ । आने वाला समय डबल स्पेशलाइजेशन का होगा। डबल स्पेशलाइजेशन एवं अच्छी प्रोफेशनल स्किल्स होने पर छात्रों को बड़ी कंपनियों में अच्छे पद मिलने की संभावनाएं बढ़ेंगी।

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