लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंह की कलम से…

नब्बे वर्ष से भी अधिक की उम्र में भी देश विदेश के लाखों युवक युवतियों के दिलों में जगह रखने वाले डाक्टर एस एन सुब्बाराव एक बार जिस किसी से मिले वह उनका सदैव के लिए हो जाता है। यह उनके सरल,सहज हृदय की खासियत है। इसी चुंबकत्व वाले व्यक्तित्व के कारण भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बाबा आम्टे ने रेणुकूट की जनसभा में कहा था- सुब्बाराव इज स्मगलर। हम लोग सन्न रह गए फिर हंसते हुए बोले यूथ स्मगलर। कहा, इस व्यक्ति में अद्भुत क्षमता है लोगों को आकृष्ट करने की। यह देश की ताकत और धन युवा को अपने से जोड़ लेते हैं जो एक बार जुड़ा तो कभी नहीं छोड़ता। जीवन के हर मोड़ पर सुब्बाराव के मंत्र उसे रास्ता दिखाते रहते हैं। यह अवसर था सुब्बाराव जी के साठवें जन्मदिन पर आयोजित समारोह का। वह स्थान था वनवासी सेवा आश्रम गोविंदपुर सोनभद्र।
यह साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति असाधारण व्यक्तित्व का धनी है। उसके पास अपना कहने के लिए गाड़ी, मकान, दौलत है न सुरक्षा का तामझाम। आप हैरान न होइए। यह पूरा जहां जिसका है उसके पास भला घर , गाड़ी और दौलत की कमी हो सकती है। हर युवा का घर उनका है। लाखों युवाओं का समूह ही उनका सुरक्षा कवच हैं। इन युवाओं के सपने ही उनके अपने सपने हैं। मतलब युवाओं को स्वस्थ, निर्भय, निर्वैर और स्वावलंबी देखना चाहते हैं। साथ ही एक अच्छे नागरिक के गुण भी रहे जो सामाजिक सरोकारों को पूरी तन्मयता से पूरा करें। 
वीआईपी कल्चर से दूर शांत, सहज, सरल और सदैव देश के नवनिर्माण के लिए प्रतिबद्ध व्यक्ति का नाम ही सुब्बाराव है। जिसे न पुरस्कारों का लोभ लुभा सका और न सत्ता का आकर्षण। कभी नहीं जिया दोहरा जीवन। हमें ऐसे गुरु पर गर्व होता है जो कर्म से जीवन की राह बदल देता है। चंबल से पूछिए वहां इनके इकतारे की गूंज ने जीवन को कटुता से प्रेम के धागे में बांध दिया। ऐसे ही तमाम युवा जो चमक धमक में दिशाहीन हो गए थे उन्हें भी बताया विध्वंस नहीं सृजन करो और लोगों के जीवन में छाए अंधेरे को दूर करो। 
भाई जी (सुब्बाराव) के मंत्र जो उनके शिविरों से प्राप्त होते हैं-
1. ऐसा कार्य करें जिससे सभी सदैव सुखी और प्रसन्न रहें। 
2. आज का खाना बहुत अच्छा कहते हुए भोजन करना। 
3. समूह में बिना किसी भेदभाव के एकसाथ बैठकर खाना। 
4. समूह चर्चा के जरिए समस्याओं का समाधान तलाशना। 
5. बिना किसी उपकरण के खेल खेलना। मतलब आप जिस भी हालत में रहें उसमें अपने को ढ़ाल‌ लें। इससे हम कभी निराश नहीं हो सकते।
6. दृष्टि: क्षेत्र, जाति, धर्म, भाषा के भेद को कोई स्थान नहीं।   
7. श्रम संस्कार के महत्व को सृजनात्मक कार्य के जरिए बताना। जिन लोगों ने कैंप किए होंगे उन्हें याद होगा कि श्रम संस्कार से उन्होंने कितने तालाब, घर, स्कूल , सड़क के कार्य किए।
8. स्वस्थ मनोरंजन का संदेश। आप अपने राज्यों की लोक संस्कृति के जरिए मनोरंजन कर सकते हैं।
9. शिविर जीवन की आपाधापी को शांति और दृढ़ता से लड़ने की शक्ति देता है।
इस तरह सुब्बाराव जी ने राष्ट्रीय युवा एकता शिविर के जरिए पूरे देश के युवाओं को जीवन जीने की कला सिखाई और  बहुसंख्य उनसे जुड़े लोग उनके बताए राह पर चल रहे हैं। उनके कार्य जीवन की प्रयोगशाला में एक अस्त्र के रूप में कार्य कर रहे हैं। जिनके पास उनके विचारों का संदेश है वह जीवन में थकने हारने या टूटने जैसी बात नहीं करते। अपने ईमानदार प्रयास जारी रखते हैं। 
भाई जी को प्रणाम
http://ourthoght.blogspot.com/2020/07/blog-post.html

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