अमेरिका ने चीनी कंपनी हुवावे के खिलाफ लगातार अपना सख्त रवैया बनाए रखा है. अमेरिका ने पहले इसके अमेरिकी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, अब इसकी भारतीय सब्सिडियरी हुवावे इंडिया (Huawei India) सहित सभी विदेशी सब्सिडियरी कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
क्या कहा अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘हुवावे भरोसा करने लायक कंपनी नहीं है और यह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का एक उपकरण है.’ अमेरिकी सरकार ने साल 2019 में हुवावे पर प्रतिबंध लगाया था और उसे इस एंटिटी सूची में शामिल की थी.
अमेरिका ने मंगलवार को प्रतिबंध की विदेशी कंपनियों की एंटिटी सूची जारी की, जिसमें हुवावे इंडिया को भी शामिल कर लिया. अमेरिकी सरकार चाहती है कि चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवावे किसी भी तरह से अमेरिका में कारोबार न कर पाए.
ट्रंप प्रशासन ने बढ़ाई सख्ती
गौरतलब है कि ट्रंप के प्रशासन ने हाल के महीनों में हुवावे के खिलाफ सख्ती बढ़ाई है.अमेरिका में हुवावे के कारोबार करने पर पूरी तरह से रोक है. हुवावे टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने के लिए मशहूर है, लेकिन अमेरिकी सरकार का कहना है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अपने हितों को साधने के लिए इस कंपनी का इस्तेमाल कर रहे हैं.
सुरक्षा पर जोखिम!
हुवावे और उसकी सभी गैर अमेरिकी सहयोगी कंपनियों को भी एंटिटी लिस्ट में शामिल कर लिया गया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अमेरिका के फेडरल रजिस्टर द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया है कि हुवावे और उसकी सहयोगी कंपनियां अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी नीति के हितों पर जोखिम पैदा करती हैं. इस सूची में हुवावे इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को भी शामिल किया गया है.
अमेरिका के जस्टिस विभाग ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि हुवावे अमेरिकी टेक्नोलॉजी की चोरी करती रही और उसने ईरान की मदद की जिस पर कि प्रतिबंध लगाया गया है.