डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

योग के प्रति दुनिया में जिज्ञाषा तो पहले से थी,इस बार दुनिया में जागृति व उत्साह का भी व्यापक संचार हुआ है। कोरोना संकट के दौरान लोगों ने भारतीय जीवन शैली के महत्व को समझा है। इसमें किसी ना किसी रूप में योग व आयुर्वेद के तत्व समाहित है। संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने जिस ऐतिहासिक समर्थन से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकार किया था,वह राष्ट्रीय गौरव का विषय था। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत की महान धरोहर के प्रति विश्व की सहमति है। विश्व में  योग लगातार लोकप्रिय हो रहा है। अमेरिका,यूरोप सहित अनेक इस्लामी देशों में भी योग करने वालों की संख्या बढ़ रही है। जनमानस में इस गौरवशाली दिन को लेकर उत्साह रहता है। पूरे विश्व में योग दिवस का माहौल दिखाई देता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक में इसे लेकर उत्साह रहता है। यह एक दिन का उत्सव मात्र नहीं है , बल्कि इसे प्रतिदिन दिनचर्या में शामिल करने की प्रेरणा भी मिलती है।भारत ने केवल विश्व कल्याण का उद्घोष ही नहीं किया था,बल्कि उसके अमल की राह भी दिखाई थी। इसी ने भारत को विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया था। योग में भी मानव कल्याण का विचार समाहित है। यह शरीर के साथ ही मन को संतुलित करता है। नकारात्मक चिंतन शरीर के साथ ही समाज को भी उद्देलित करते है,अराजकता फैलाते है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को मानवता के लिए धरोहर बताया था। उनके विचारों पर विश्व समुदाय ने ध्यान दिया था। मोदीं का कहना था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है।  यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर,हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। योग के प्रवर्तन की मूलभावना भी यही थी। पतंजलि के अनुसार  योगश्चित्तवृतिनिरोध अर्थात पतंजलि के अनुसार चित की वृतियों का निरोध ही योग कहलाता है। वेदांत के अनुसार आत्मा का परमात्मा से पूर्ण रूप से मिलन होना ही योग कहलाता है। तत्कालीन भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखा था,जिसे दुनिया के एक सौ पच्छत्तर देशों ने  सह  प्रस्तावित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभ में किसी भी प्रस्ताव को इतनी बड़ी संख्या में मिला समर्थन अभूतपूर्व था। भारत के प्रताव पर एक रिकॉर्ड बन गया।इससे पहले किसी भी प्रस्ताव को इतने देशों का समर्थन नहीं मिला था। पहली बार किसी देश का प्रस्तव महासभा ने मात्र तीन महीने में पारित कर दिया था।

इक्कीस जून को ग्रीष्म संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तर से दक्षिण की ओर चलना शुरू करता है। अर्थात सूर्य जो अब तक उत्तरी गोलार्ध के सामने था,अब दक्षिणी गोलार्ध की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है। योग की दृष्टी से यह समय संक्रमण काल होता है। यह रूपांतरण के लिए बेहतर समय होता। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ स्वयं  प्रतिष्ठित योगी है। वह नाथ संप्रदाय का  प्रतिनिधित्त्व करते है, इस महान विरासत को आगे बढ़ा रहे है। उन्होंने भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को  राष्ट्रीय गौरव के अनुरूप उत्सव का रूप दिया। मुख्यमंत्री ने आयुष मंत्रालय में योग आयुष का गठन किया था। इसी मंत्रालय ने योग दिवस को व्यापक रूप में मनाने की। व्यवस्था की थी। योगी आदित्यनाथ ने योग के संबन्ध में शास्त्रों के अनुरूप  जानकारी दी । संस्कृत के श्लोक का उल्लेख किया। उसकी व्याख्या की। योग को मजहबी रूप में देखना गलत है। पैंतालीस इस्लामी मुल्कों के साथ आज पूरे विश्व में  योग किया जा रहा है। अमेरिका में करोड़ों लोगों की जीवन शैली में योग शामिल  शामिल हो गया है। नरेंद्र मोदी को विश्व कूटनीति में  सांस्कृतिक तत्व को बेजोड़ अंदाज में शामिल किया है।

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