पण्डित शिवम पाठक, जर्नलिस्ट, टोटल सामाचार

छत्तीसगढ़। हमारे देश में हर दिन कुछ ऐसे अजीबो गरीब किस्से हो जाते है। जिसे देखकर या सुनकर हम सोचने को विवस हो जाते है। लेकिन आज एक ऐसा चौकाने वाला मामला सामने आया है। जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जायेगें। दरअसल  छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में निवासरत माड़िया का है । जहां आज भी लोग की आदिम संस्कृति के रीत रीवाज को मानते है। वहां के लोगों ने संस्कृति आज भी जीवंत रखा है। इस संस्कृति की कई विशिष्टताएं हैं। इन्हीं में से एक है विवाह की परंपरा. इस जनजाति में दुल्हन अपनी बारात लेकर दूल्हे के घर जाती है। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में 44 सौ वर्ग किमी में विस्तृत अबूझमाड़ के जंगल आज भी अबूझ ही बने हुए हैं।

ऊंचे पहाड़ों, सघन वनों, कल कल बहते झरनों और नदियों से घिरे अबूझमाड़ में माड़िया जनजाति निवास करती है। आदिम संस्कृति की इस अनोखी जाती को दो उपजातियों में विभक्त किया गया है। अबुझमाड़िया व बायसन हार्न माड़िया। अबुझमाड़िया जनजाति ऊंचे पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है जबकि बायसन हार्न माड़िया इंद्रावती नदी के किनारे के इलाकों में पाए जाते हैं।

 

भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से संरक्षति माड़िया जनजाति ने आज भी अपनी पुरातन संस्कृति और परंपराओं को सहेजकर रखा है।

इसलिए नाम पड़ा बायसन हार्न जनजातियह भी पढ़ेंबायसन हार्न जनजाति का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि ये परंपरागत नृत्य के दौरान बायसन की सींग लगाकर नाचते हैं। परंपराओं में इन दोनों उपजातियों में कोई खास फर्क नहीं है। अबुझमाड़िया जनजाति की चर्चा हमेशा से वैवाहिक शिक्षा व परंपराओं के लिए होती रही है। इन पर नृजातीय अध्ययन के प्रयास सदियों से किए जाते रहे हैं।

यौन शिक्षा का केंद्र है घोटुलयौन शिक्षा व सांस्कृतिक गतिविधि के केंद्र के रूप में मशहूर घोटुल प्रथा अबूझमाड़ के इलाके में ही पाई जाती है। अबुझमाड़िया जनजाति में विवाह की विशिष्ट परंपराएं हैं। इनमें विवाह जीवन का सबसे खर्चीला काम होता है।

वर को चुकाना पड़ता है मूल्य

वधु पाने के लिए वर को उसका मूल्य चुकाना पड़ता है। समाज के लोग आपस में बैठक कर मूल्य तय करते हैं। अगर वर मूल्य अदा करने में असमर्थ रहता है तो उसे अपने ससुर के घर काम करके यह कर्ज उतारना पड़ता है। काम करवाने की यह अवधि तीन से पांच साल तक होती है।

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