सलिल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, मिर्जापुर.
जरूरतमन्दों को बांटा ऊनी कम्बल
मिर्जापुर । मौसम हौले-हौले कदम बढ़ा रहा है । अभी गुलाबी ही ठंड है लेकिन ठंड का यह दस्तक सबसे पहले सरकारी विभाग के PWD के कान में गया, जहां भारी-भरकम जेसीबी, डोजर जैसी मशीनों की गड़गड़ाहट होती रहती है।
कंपकपी भांप कर बाटा कम्बल
कोरोना काल के प्रारंभिक भयावह दिनों में PWD के वरिष्ठ अभियन्ताओं ने जठराग्नि (पेटकी आग) की ज्वाला शांत करने के लिए लंबे दिनों तक लंच पैकेट बांटकर मानवीय स्वरूप का परिचय दिया था तो अब ठंड से सिकुड़ने-ठिठुरने के मौसम को जानकर ऊनी कम्बल आदि का वितरण शुरू किया है।
फील्ड में घूमते अभियन्ताओं ने जब देखा
शहरी इलाकों से लेकर धुर-ग्रामीण अंचलों तक सड़क निर्माण के लिए फील्ड-भ्रमण पर निकलने वाले PWD के चीफ इंजीनियर श्री वाई के शर्मा, सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर श्री अनिल कुमार मिश्र और इजक्यूटिव इंजीनियर श्री कन्हैया झा ने जगह जगह लोगों को खुद तथा बच्चों को ठंड से मुकाबले में अशक्त देखा तो फिर तीनों वरिष्ठ अधिकारियों ने तय किया कि कम्बल तथा अन्य ऊनी सामग्री बांटी जाए। जिसके तहत शनिवार, 5/12 को भारी संख्या में लोगों को कम्बल आदि दिए गए।
सामाजिक संगठन क्यों पिछड़ रहे हैं?
समाजसेवा के लिए गठित इंटरनेशल से लेकर लोकल लेविल तक संस्थाएं दावा करती हैं कि वे सेवा के लिए ही हैं लेकिन इन संगठनों की सेवा-गाड़ी अभी लूप-लाइन में ही है । बहुतेरे संगठन ठंड खत्म होने के बाद अति सस्ते एवं पहली बार ही झटकने में पतझड़ के मौसम की तरह रेशे-रेशे अलग हो जाने वाले कम्बल बांटते हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार दान सिर्फ़ रस्म-अदायगी के लिए नहीं होना चाहिए।